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जैन साहित्य एवं साहित्यकार : ३७१ ७. हेमभूषण गणी-इन्होंने १२८४ ई० में 'युगप्रधान श्री जिनचन्द्र सूरि चर्चरी" नामक २५ पद्यों की रचना लिखी।'
८. सुमतिगणी-ये जिनपति सूरि के शिष्य थे। इन्होंने १२३८ ई० में “गणधर सार्ध शतक वृत्ति" की रचना की। "नेमिनाथ रास" इनकी प्रारम्भिक रचना है।
९. देल्हड़-ये एक श्वेताम्बर श्रावक थे। इनकी रचना "गय सुकुमाल रास" प्राचीनता की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है । इसकी रचना इन्होंने जगतचन्द्र के शिष्य देवेन्द्र सूरि की प्रेरणा से की थी। जगतचन्द्र का समय १२४३ ई० के आसपास था, अतः यह रचना १३वीं शताब्दी की है।
१०. कवि वस्तिग-इन्होंने १३११ ई० में 'बीसविरहमान रास" की रचना की।
११. गुणाकर सूरि-इन्होंने १३१४ ई० में "श्रावक विधि रास" राजस्थानी भाषा में निबद्ध किया।
१२. अंबदेव सूरि-इन्होंने १३१४ ई० में "समरा रास" को रचना राजस्थानी में की।६
१३. मुनि धर्मकलश-इन्होंने १३२० ई० में "जिनकुशल सूरि पट्टाभिषेक रास" की रचना की।
१४. जिनप्रभु सूरि-इन्होंने १३२९ ई० में "पद्मावती चौपाई" की रचना की। १५. जिन पद्म सूरि-इन्होंने १३३३ ई० में "स्थूलिभद्र रास" रचा।
१६. पउम कवि-इन्होंने १४वीं शताब्दी में "शालिभद्र फाग" तथा "नेमिनाथ फाग" की रचना की।
१७. राजशेखर सूरि-इन्होंने १३४८ ई० में "प्रबन्ध कोष" की रचना की और "नेमिनाथ फागु" नामक कृति को छन्दोबद्ध किया।"
१. राजसा, पृ० १६८ । २. वहीं। ३. वही। ४. जैगुक, भाग २। ५. आत्मानन्द शताब्दी स्मारक ग्रन्थ । ६. प्राचीन गुर्जर काव्य संग्रह में प्रकाशित । ७. रालसा, पृ० १६९ । ८. भैरव पद्मावती काव्य, परिशिष्ट १० । ९. राजसा, पृ० १६९। १०. वही। ११. वही।
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