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________________ जैन साहित्य एवं साहित्यकार : ३४९ गुजराती व राजस्थानी साहित्य के इतिहासों में समान रूप से होती है। उद्योतन सूरि द्वारा ७७८ ई० में लिखे गये "कुवलयमाला" कथा ग्रन्थ से राजस्थानी भाषा के मरु-. देशीय रूप का उल्लेख नाम सहित मिलता है। अतः राजस्थानी भाषा साहित्य का उद्भव काल ८वीं शताब्दी का उत्तरार्द्ध माना जा सकता है। राजस्थानी भाषा के विकास के चिह्न क्रमिक रूप से देखने को मिलते हैं । पूर्व मध्यकाल में भी कई महत्त्वपूर्ण सोपान इस भाषा के विकास में प्रकट हुए । १. कवि धनपाल-१०वी, ११वीं शताब्दी की अपभ्रंश रचनाओं में राजस्थानी भाषा के विकास के चिह्न मिलने लगते हैं। इनके द्वारा रचित "सत्यपुरिय महावीर उत्साह" ऐसी ही रचना है, जिसमें १५ पद्य हैं, किन्तु ऐतिहासिक दृष्टि से यह अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है। २. कवि पल्ह-११वीं शताब्दी में इन्होंने १० छप्पय छंदों की रचना की, जिसकी भाषा अपभ्रंश प्रधान है । यह जिनदत्त सूरि की स्तुति है। ३. देवसूरि-१२वीं शताब्दी में नागौर में इनके द्वारा अपने गुरु मुनि चन्द्रसूरि की स्तुति रूप में २५ पद्य अपभ्रंश मिश्रित रचे हुए मिलते हैं। ४. वनसेन सूरि-इन्होंने ११६८ ई० में "भरतेश्वर बाहुबलि घोर" नामक २५ पद्यों की राजस्थानी कृति निबद्ध की थी। ५. शालिभद्र सूरि-इनके द्वारा रचित "भरतेश्वर बाहुबलि रास",३ राजस्थानी भाषा की संवतोल्लेख वाली प्रथम रचना है, जो १९८४ ई० में पूर्ण हुई थी। इन्हीं की दूसरी रचना "बुद्धिरास' है। (५) हिन्दी साहित्य एवं साहित्यकार : हिन्दी साहित्य के आदिकाल को अधिकांश आधारभूत सामग्री राजस्थानी जैन साहित्यकारों द्वारा ही रची गई है। सामान्यतः हिन्दी साहित्य का आविर्भाव काल १००० ई० के आसपास माना जाता है । आचार्य रामचन्द्र शुक्ल हिन्दी को अपभ्रंश से विकसित मानते हैं । १००० ई० के आसपास अपभ्रंश भाषा ने विभाजित होकर नये नाम धारण किये, जिससे हिन्दी भाषा का भी सूत्रपात्र हुआ। अर्धमागधी और नागर अपभ्रंश से निकलने वाली सिद्ध और जैन कवियों की भाषा, हिन्दी के प्रारम्भिक रूप १. अपभ्रश काव्यत्रयी, पृ० ९२-९३ । २. जैसरा, पृ० २३८-२४८ । ३. वीरवाणी, १, पृ० ४८ । ४. भारतीय विद्या, वर्ष २, अंक १। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002114
Book TitleMadhyakalin Rajasthan me Jain Dharma
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Jain Mrs
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1992
Total Pages514
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Art
File Size21 MB
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