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३२४ : मध्यकालीन राजस्थान में जैनधमं
उडेल रहे हैं ।' मारवाड़ में घाणेराव में देवालय के खुले मण्डप के चबूतरे पर रूपांकित आकृतियों के समूह हैं । केन्द्र में प्रतिमाएँ हैं, जिनके कानों में कुण्डल हैं । प्रतिमाओं के सामने दो लघु मानवाकृतियों पर टिका हुआ एक जल पात्र है । सिरोही क्षेत्र में अजारी में महावीर के गर्भगृह के पृष्ठ तिबारे में एक भग्न नन्दीश्वर द्वीप की मूर्ति है । 3 नन्दीश्वर द्वीप का रूपप्रद तक्षण किशनगढ़ के निकट रूपनगर ४ तथा पाली जिले में नाणा" के मन्दिरों में भी देखने को मिलता है ।
रणकपुर के चौमुख मन्दिर में गर्भगृह के उत्तर-पश्चिम में एक बड़े उप देवालय में सम्मेदशिखर का सुन्दर रूपांकन है । इसके ठीक सामने अधूरी ही छूटी हुई एक अष्टापद की संगतराशी है । सम्मेदशिखर के देवालय के बाहर दाहिनी तरफ गिरनार और शत्रुंजय पहाड़ियों की रचना तथा उत्तर में नलमण्डप में सहस्त्रकूट का रूपप्रद अंक है । नागदा के पद्मावती मन्दिर में देवालय में एक विलक्षण तक्षित रूपांकन है, जिसके केन्द्र में ध्यानस्थ प्रभा वलय सहित जिनाकृति है । आसपास हवा में उड़ते हुये गन्धवं व किन्नर, तिकोनी टोपी धारण किये हुये व चंवर पकड़े हुये हैं । आसपास व ऊपर छोटे-छोटे खण्डों में तीर्थंकर, केन्द्रीय आकृति के दाँयीं तरफ गजारूढ़ इन्द्र व वाम पार्श्व में अम्बिका चित्रित हैं । केन्द्रीय आकृति के नीचे का हिस्सा तीन खण्डों में विभक्त है । मध्य में दो मृगों पर टिका हुआ चक्र तथा शेष दोनों में सिंह उत्कीर्ण हैं | यह रूपांकन मात्र कलात्मक निपुणता दर्शाने के लिये हुआ है ।
खेडा के जैन मन्दिर में दो तराशी हुई कृतियों में, धारक हैं । एक रूपांकन में सिंहारूढ़ मूर्ति व दूसरे में आसपास पूर्णं खिले दो कमल पुष्पों पर दो हाथी खड़े हैं ।" जैन मन्दिर में गर्भगृह के दरवाजे के बाँयें पार्श्व पर तराशी हुई एक सुन्दर प्रतिमा है । इसमें मानवाकृतियाँ भी हैं, जो दोहरी छत्री के संगमरमर के स्तम्भों पर एक छत्री है, जिसमें
नीचे खड़ी हैं । इनके अलावा श्वेत दिगम्बर पंथ के विभिन्न आचार्यों के
१. प्रोरिआसवेस, १९१६-१७, पृ० ७१ । २. वही, १९०७-०८, पृ० ५९ ।
३. वही, १९०५-०६, पृ० ४९ । ४. वही, १९१० - ११, पृ० ४२ । ५. वही, १९०७-०८, पृ० ४९ । ६. आसइऐरि, १९०७-०८, पृ० २१३ । ७. प्रोरिआसवेस, १९०४-०५, पृ० ६१ । ८. वही, १९११ - १२, पृ० ५६ ।
प्रत्येक में तीर्थंकर व चँवर कमलासीन मूर्ति है, जिसके चातसू के ८वीं शताब्दी के
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