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२९६ : मध्यकालीन राजस्थान में जैनधर्म
बिम्ब बनाये हैं । मूर्तियों का मस्तक धुंघराले बालों से भरा हुआ है। मूर्तियों के कन्धों पर जटाएं, मूल रूप से एक होते हुये भी आगे जाकर तीन भागों में बँट जाने से, हवा में लहराने का सा दृश्य उपस्थित करती हैं। ये मूर्तियाँ पोली हैं एवं लाख जैसे पदार्थों से भरी हैं।
११वीं शताब्दी के पश्चात् की बसन्तगढ़ शैली की धातु प्रतिमाओं का सबसे बड़ा संग्रह सिरोही की जैन मन्दिर गली का जैन पुरातत्व मन्दिर है, जिसमें लगभग ७०० धातु प्रतिमाएं संग्रहीत हैं। ये मूर्तियाँ १८३४ ई० में आदीश्वर मन्दिर की सुमतिनाथ देहरी के गर्भगृह से निकली थीं। ये धातु प्रतिमाएँ १०वीं शताब्दी से लेकर १६वीं शताब्दी तक की है । १९७२ ई० में इनकी संख्या ५४० थी, जिसमें १०वीं शताब्दी की एक, ११वीं शताब्दी की २०, १२वीं की ६१, १३वीं की ८६, १४वीं की १८२, १५वीं की १८३ और १६वीं शताब्दी की ७ प्रतिमाएँ थीं।२
राजस्थान में जैन धातु मूर्तियाँ विशाल संख्या में प्राप्त हैं । सम्भवतः ये ८वीं शताब्दी से अनवरत रूप से निर्मित होती रहीं। सिरोही के बसन्तगढ़ और अजारी, मारवाड़ के सांचौर, पर्वतसर, जालौर, रामसेन, सिवाणा और बीकानेर के अमरसर व चिन्तामणि मन्दिर की धातु मूर्तियाँ, जैसलमेर के किले व लोद्रवा में सुरक्षित धातु मूर्तियाँ, जयपुर में आमेर व साँगानेर के जैन मन्दिरों में सुरक्षित धातु प्रतिमाएँ, समृद्ध कला की परिचायक हैं।
बीकानेर संग्रहालय में अमरसर से प्राप्त १४ धातु मूर्तियाँ प्रदर्शित हैं, जिनमें से ९ अभिलेख युक्त व ६ कलायुक्त हैं, जिसके अनुसार ये १००६ ई० से १०९३ ई० के मध्य की हैं । ये मूर्तियाँ तीर्थंकरों की एक-तीर्थी, त्रितीर्थी व पंचतीर्थी मूर्तियाँ हैं, जिनमें आदिनाथ व पार्श्वनाथ प्रमुख हैं। एक धातु मूर्ति चतुमुख समवसरण को है, जो १०७९ ई० के लेख युक्त और २४ तीर्थंकरों के नामांकन सहित है। सांचौर से पद्मासनस्थ आदिनाथ की ८वीं शताब्दी की महत्त्वपूर्ण धातु मूर्ति प्राप्त हुई है । पर्वतसर से प्राप्त धातु मूर्तियों में से एक ११७७ ई० की भी है। बीकानेर के चिन्तामणि मन्दिर
और महावीर मन्दिर के तलगह में १३५० मूर्तियाँ एक साथ देखने को मिलती हैं। इनमें से चिन्तामणि मन्दिर में ११०० प्रतिमाएँ हैं, जिनमें से १०५० प्रतिमाएँ १५७८. ई० में तुरासानखान द्वारा सिरोही से लूट कर ले जाई गई थीं व सम्राट अकबर से
१. असावै, पृ० ४३ । २. वही, पृ० ४४ । ३. वीनिस्मा, पृ० २-३२ । ४. वही। ५. वही ।
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