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जैन कला : २८३
चित्रों का भी वर्णन है।'
__ इस काल में व्यक्ति चित्र और प्रतीक चित्र भी हजारों की संख्या में बनाये जाते रहे । व्यक्ति चित्रों में तीर्थंकरों, आचार्यों, श्रावकों आदि के चित्र उल्लेखनीय हैं। तीर्थकर चित्रों में पार्श्वनाथ की सप्तफणी ही नहीं, अपितु सहस्रफणी चित्र भी मिलते हैं । २४ तीर्थंकरों के संयुक्त चित्र अर्थात् चौबीसी भी बनाई जाती रही, जिनमें से कुछ कला की दृष्टि से बहुत सुन्दर हैं ।
सिरोही क्षेत्र में भी ऐसी दर्शन-चौबीसियाँ साधुओं की देखरेख में बनाई जाती थीं। प्रतीक चित्रों में छल, लेश्या, मधु बिन्दु तथा पूज्य चित्रों में नवपदसिद्ध चक्र, ऋषि मण्डल, सर्वतोभद्र, ह्रींकार आदि उल्लेखनीय हैं। सिद्धचक्र वाले चित्र तो मोतियों से जड़े हुये भी प्राप्त हैं । प्रतीक चित्रों में ही भौगोलिक चित्र व नारकीय दृश्यों के चित्र भी सम्मिलित हैं । जैन मान्यताओं की सचित्र जानकारी सुलभ करवाने हेतु पंचमेरू पर्वत तीर्थ, द्वीप समूहों आदि के चित्र भी बनाये जाते थे । ग्रन्थों को सुरक्षित रखने के पेटी, पुठे, दाबड़े आदि पर भी धार्मिक विषयों, फल, बेल, मंगलीक आदि चित्रित किये जाते हैं । कई दाबड़े बहुत कलापूर्ण हैं। एक कुट्टे के कलमदान पर सुन्दर चित्रकारी है । कुट्टे, लकड़ी की पेटियों व पट्टियों पर भी सुन्दर चित्रण होता था ।४
इस काल में "मथेण" या "मथेरण" जाति के कलाकारों ने जैन कला की अद्भुत सेवा की है । "मथेरण' जाति के चित्रकारों के अनेक चित्र जैन ग्रन्थ भण्डारों में उपलब्ध हैं। इनकी अपनी एक अलग चित्रशैली बन गई है, जिसमें चौबीसियाँ, रास, चौपाई एवं चरित्र काव्यों के अन्तर्गत सैकड़ों चित्र विविध भाव भूमि वाले पाये जाते है । मथेरणों के अतिरिक्त सिरोही के सोमपुरा व गुरासां तथा जयपुर क्षेत्र में भी कई व्यावसायिक चित्रकार जातियाँ रही हैं, जिन्होंने जैन चित्रकला के संवर्द्धन में अत्यधिक योगदान दिया है। (ख-३) सचित्र वस्त्र पट्ट :
१७वीं व १८वीं शताब्दी के जैन तीर्थों के वस्त्र पट्ट भी हैं। शत्रुजय तीर्थ का एक बड़ा पट्ट "नाहटा संग्रहालय, बीकानेर" में है।" प्रायः सभी बड़े मन्दिरों में उपा श्रयों में शत्रुजय तीर्थ के पट्ट पाये जाते हैं, क्योंकि चैत्र की पूर्णिमा आदि के दिन, उन पट्टों के सामने तीर्थवंदन करने की प्राचीन जैन परम्परा रही है । कई तीर्थों के. १. वाचस्पति गैरोला-भारतीय चित्रकला, पृ० १४० । २. एक प्रति अगरचंद नाहटा संग्रहालय बीकानेर में । ३. नाहटा संग्रहालय बीकानेर में । ४. वहीं पर। ५. वहीं पर।
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