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२३४ : मध्यकालीन राजस्थान में जैनधर्म (४३) नांदिया तीर्थ :
यह तीर्थ मारवाड़ की छोटी पंचतीर्थी के अन्तर्गत है। नान्दिया ग्राम, सज्जनपुर रोड रेलवे स्टेशन से ६ मील दूर है। इसके प्राचीन नाम साहित्यिक स्रोतों के अनुसार "नन्दिग्राम", "नन्दिपुर" एवं "नन्दिवर्द्धनपुर" मिलते हैं । गांव के चातुर्दिक पहाड़ हैं। गांव के उत्तर में महावीर का एक विशाल मन्दिर है, जिसमें १०७३ ई० का प्राचीनतम अभिलेख है। इस लेख में नान्दियक चैत्य के पास शिवगण द्वारा एक कुंआ निर्मित करवाने का उल्लेख है। इससे स्पष्ट प्रमाणित होता है कि यह मन्दिर १०७३ ई० से पूर्व भी अस्तित्व में था। मन्दिर के सभा मण्डप के एक स्तम्भ पर उत्कीर्ण ११४४ ई० के लेख में श्रेष्ठी निम्बा और भेपा द्वारा इस स्तम्भ को निर्मित करवाने का उल्लेख है। १३७९ ई० में रचित "पार्श्वनाथ चरित्र" में नान्दिया के महावीर मन्दिर की उत्कृष्ट निर्माण योजना का उल्लेख है। यहीं के दूसरे शान्तिनाथ के मन्दिर में पार्श्वनाथ की धनेरा से लाई गई ११५४ ई० के लेख युक्त प्रतिमा है । यहाँ के महावीर व शान्तिनाथ दोनों जिनालयों से ११९६ ई०, १४३६ ई०, १४६४ ई०, १४७१ ई०, १४७२ ई०, १४८८ ई० आदि के कई लेख उपलब्ध होते हैं । (४४) दियाणा तीर्थ :
यह भी मारवाड़ की छोटी पंचतीर्थी का तीर्थ है, जो "जीवितस्वामी" से सम्बन्धित माना जाता है। यह ग्राम भी अर्बुद क्षेत्र का प्राचीन स्थल है, जहाँ जैनधर्म का अच्छा वर्चस्व रहा। यहाँ का मूल मन्दिर शान्तिनाथ को समर्पित था, किन्तु इसमें वर्तमान में ९६७ ई० की महावीर प्रतिमा प्रतिष्ठित है। यह तीर्थ कई शताब्दियों से निरन्तर पूजित रहा है और कई जैनाचार्यों ने यहाँ चातुर्मास काल व्यतीत किया है। यहाँ के ९५४ ई० के कायोत्सर्गस्थ प्रतिमा लेख से ज्ञात होता है कि सनड़ की भार्या नयना बाई, पुत्र वासिया, उसकी भार्या वयजल देवी व पुत्र लक्ष्मण सिंह ने पार्श्वनाथ का युग्म बिम्ब बृहदगच्छीय परमानन्द सूरि के शिष्य यक्षदेव सूरि के द्वारा प्रतिष्ठित करवाये थे। (४५) अजारी तीर्थ :
मारवाड़ की छोटी पंचतीर्थी का यह तीर्थ भी जैन मान्यताओं में प्राचीन काल से
१. अप्रजैलेस, क्र० ४५२ । २. वही, क्र० ४५३ । ३. जैन तीर्थ सर्व संग्रह, १, खण्ड २ । ४. अप्रजैलेस, क्र० ४५५ से ४६९ । ५. श्री जैप्रलेस, क्र० ३३१ ।
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