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________________ जैन तीर्थ : २३३ होंगे । मन्दिर को मूल नायक पार्श्वनाथ प्रतिमा अनुश्रुतियों के अनुसार सम्प्रति कालीन बतायी जाती है, किन्तु इसका परिकर १६५० ई० का निर्मित है।' मन्दिर में लगभग २०० प्रतिमाएँ हैं ।२ (४२) करेडा पार्श्वनाथ तीर्थ : __मेवाड़ की पंचतीर्थी का यह पार्श्वनाथ तीर्थ, भोपाल सागर स्टेशन से लगभग १ मील दूर, ५२ जिनालय वाला एक विशाल मन्दिर है । अपने स्थापत्य वैशिष्ट्य के कारण यह मेवाड़ के महत्त्वपूर्ण मन्दिरों में से है। इस विशाल मन्दिर की संरचना अन्य श्वेताम्बर जैन मन्दिरों की तुलना में भिन्न है, क्योंकि इसमें त्रिक मण्डप, रंग मण्डप आदि नहीं हैं। इसमें एक गर्भगृह, एक गूढ मण्डप, दो बेदियाँ, उनके सम्मुख बरामदे, सभा मण्डप तथा गोलाकार प्रदक्षिणा है। सम्पूर्ण मन्दिर संगमरमर का निर्मित है, जो १०वीं शताब्दी के पूर्व का प्रतीत होता है। यहाँ की एक धातु प्रतिमा से ७वीं शताब्दी का लेख प्राप्त हुआ था, किन्तु वह प्रतिमा अब द्रष्टव्य नहीं है। श्याम पार्श्वनाथ की प्रतिमा पर ९८२ ई० का अभिलेख उत्कीर्ण है। इसके अनुसार इस प्रतिमा की प्रतिष्ठा सांडेरक गच्छ के यशोभद्र के शिष्य श्यामाचार्य ने करवाई थी। ऐसा प्रतीत होता है कि १२वीं शताब्दी के पूर्व तक यह मूलतः दिगम्बर मन्दिर था, क्योंकि मरम्मत के दौरान पुराने पलस्तर के नीचे कतिपय नग्न तीर्थकर प्रतिमाएं देखने को मिली हैं।" १३७४ ई० में खरतर गच्छ का एक विशाल महोत्सव यहाँ आयोजित हुआ था। १२६९ ई० के सेवाड़ी से प्राप्त अभिलेख" में मन्दिर की व्यवस्था के निमित्त नाडौल की मण्डपिका से एक निश्चित राशि के अनुदान का उल्लेख है । एक गुर्वावली से प्राप्त जानकारी के अनुसार पेथड़ कुमार ने यह एक मन्दिर बनवाया था। उसका पुत्र झांझण इसे सतमंजिला बनवाना चाहता था, किन्तु तीन मंजिल ही पूर्ण हो पाई। इसके गूढ़ मण्डप में काले संगमरमर की १५९९ ई० के लेख युक्त पार्श्वनाथ प्रतिमा है । महाराणा -सरूपसिंह के समय में भी मन्दिर का बृहद जीर्णोद्धार हुआ था। १. जैन तीर्थ गाइड । २. वही। ३. नाजैलेस, २, क्र० १९०५ । ४. वही, क्र० १९४८ । ५. वीरवाणी का एक लेख । ६. विज्ञप्ति लेख संग्रह, पृ० १२-१४ । ७. प्राजैलेस, २, क्र० ३३० । ८. जैन तीर्थ सर्व संग्रह, २, पृ० ३४४ । ९. वही। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002114
Book TitleMadhyakalin Rajasthan me Jain Dharma
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Jain Mrs
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1992
Total Pages514
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Art
File Size21 MB
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