SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 228
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ - जैन तीर्थ : २०५ डालते हैं । ११८५ ई० में, भण्डारी तोमा की पत्नी धस्की ने, सत्यपुरा में सोलंकी भीमदेव द्वितीय के शासन काल में चतुष्किका की मरम्मत करवाई। १२२० ई० में संघपति हरीशचन्द्र ने एक मंडप निर्मित करवाया।' १२६५ ई० के एक अभिलेख में उल्लेख है कि महावीर मन्दिर में ओसवाल भण्डारी छाधिका ने एक चतुष्किका का जीर्णोद्धार करवाया । गुर्जर राजा अजयपाल (११७२ ई०-७६ई०) के मंत्री अल्हड़ ने, इस मन्दिर में पार्श्वनाथ की एक प्रतिमा स्थापित की।3।। साँचौर में समय-समय पर जैनाचार्य आते रहते थे। १२२६ ई० में जिनकुशल सरि सांचौर आये और उनका हर्षोल्लासपूर्वक स्वागत किया गया। इसी प्रकार जब जिनपद्म सूरि वापस १३३४ ई० में साँचौर आये तब चौहान शासक राणा हरिपाल ने उनका भव्य स्वागत किया। महाराजा दूदा अपने नायकों के साथ तीर्थ यात्रा के दौरान यहाँ भी आये और एक दान भण्डार की १४३४ ई० में स्थापना की।६ १४६३ ई० में साँचौर के जावड़ रत्ना और कर मसी ने कक्क सूरि के द्वारा चन्द्रप्रभ की प्रतिमा की स्थापना की। जैन तीर्थ होने के कारण जैनाचार्य व कई विद्वानों ने यहाँ रहकर साहित्य सेवा की। हीरानन्द सूरि ने १४३८ ई० में "जम्बू स्वामिन विवाहलू" की रचना की। १४२८ ई० में रचित 'विद्याविलास पावड़ा' में साँचौर का सन्दर्भ है। जिनभद्र सूरि ने १४३१ ई० में "नन्दो सूत्र वृत्ति" का संशोधन किया तथा संघ के अध्ययन के लिये, उन्होंने महावीर की प्रशस्ति में "महावीर गीता" की रचना की। शांतिरत्न गणी ने, जिनसेन गणी की सहायता से १४४२ ई० में "दशवकालिक वृत्ति" में संशोधन यहीं रह कर किया।१२ १४४६ ई० में लब्धि विजय गणी ने "भुवन भानु केवलि चरित्र" की १. प्रोरिआसवेस, १९०८, पृ० ३५ । २. वही। ३. जैसासइ, पृ० ३४२ । ४. खबृगु, पृ० ८०। ५. वही, पृ० ८६ । ६. जैसप्र, पृ० ३६०। ७. नाजैलेस, २, क्र० ११२८ । ८. जैगुक, २, पृ० ४२९ । ९. वही, १, पृ० २५ । १०. जैसप्र, पृ० २५ । ११. जैगुक, २, पृ० १४७८ । १२. जैसप्र, पृ० ३३५ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002114
Book TitleMadhyakalin Rajasthan me Jain Dharma
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Jain Mrs
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1992
Total Pages514
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Art
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy