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________________ जैनधर्म भेद और उपभेद : १५७. खहोडान्वय', छोहरियान्वय', श्रावकान्वय', सोखुलान्वय ।। (ख) दिगम्बर सम्प्रदाय के अन्तर्गत : अग्रोतकान्वय", गोमाराडान्वय', नरसिंह, नागद्रह, नागभट्ट जातीय ,भद्रान्वय', सिंहपर' आदि। अभिलेखों में वर्णित कतिपय अन्य गोत्र : विवेच्य काल में महत्त्वपूर्ण जैन जातियों में प्रचलित गोत्रों के अतिरिक्त अन्य गोत्र भी अभिलेखों में उपलब्ध होते हैं ।१२ (क) श्वेताम्बर जैन जातियों के गोत्र : अटकर, अंबाई, आइरी, आचाइमान, आकदूधिया, इटोटिया, उच्छवाल, उजरसुर, उपरणमि, उसभ, उहवडेचा, उहस, कच्छग, कठवालिया, कठियारा, कनउज, करमदीया, काकलवाड्या, काठड़, खटवड़, खाटड़, खाटड़ा, खारड, खाबही, खाहड़, खाहरडा,. गुहउचा, जूंगलिया, गोदुड, गुहिलवाल, गुंदोचा, घाघ, चड़चह्या, चणगीया, चाण, चिणालिया, चीपू, चींचट, चुपड़, चोवलदग, छींछोड़ी, छोहर्या, जंडिया, जाइलवाल, जांडलवाज, जावड़, जोहाणेचा, टप, टॉक, ठाकुर, डीडावत, डीवउड़ा, डेडाणा, डोमेल, ठोर, तातरटीला, तेलहर, थामलेचा, थिरूत, थूल्ल, दरड़ा, दुसाश, देसलहर, दोसी बोहड़, धनाणेचा, नडवीया, नगडियाना, नवल, नहुनेचा, नावियाड़ा, नांदेचा, परिघल, प्राज्ञेचा, पल्हवड़, पहाणेचा, पंचुली, पंचाणेचा, पाटदड़, पाताणी, पापड़, पोरसाणी, पालडेचा, पाल्हाउत, पहिल, बडाहडा, बलहि, बलाहडिया, बहकड़ा, बहुरा, बातरूणरू, बावल, बाहिया, बूटाड़ा, भरटाणा, भरदब, बहकटा, भांडिया, भूरा, भेलडिया, महरोल, १. प्रलेस, क्र० १०१ । २. वही, क्र० १०० । ३. वही, क्र० २२२ । ४. वही, क्र० १०७ । वही, क्र० ८३३ । ६. वही, क्र० १८७। ७. वही, क्र० २७९, ९९६ । ८. वही, क्र० ६६२ । ९. वही, क्र० ४५। १०. वही, क्र० ८३३ । ११. वही, क्र० १२० । १२. देखें, प्रलेस, परि० ७ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002114
Book TitleMadhyakalin Rajasthan me Jain Dharma
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Jain Mrs
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1992
Total Pages514
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Art
File Size21 MB
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