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________________ १५६ : मध्यकालीन राजस्थान में जैनधर्म के साथ एक गुर्जर जैन परिवार के भी आने का उल्लेख है।' महोपाध्याय विनय सागर द्वारा खोजे गये पंचायती मन्दिर जयपुर के १२८३ ई० जयपुर के पद्मप्रभु मन्दिर के १४६३ ई० और सांगानेर महावीर के मन्दिर के १४८२ ई० प्रतिमा लेखों में भी इस जाति का उल्लेख है। अभिलेखों में वणित कतिपय अन्य जातियाँ : राजस्थान में प्राप्त विभिन्न अभिलेखों में निम्न जातियों, कुलों एवं वंशों का उल्लेख भी देखने को मिलता है(क) श्वेताम्बर सम्प्रदाय के अन्तर्गत : दीसावाल, मोढ़वाल, मोढ़', वीरवंश, श्रीकुल, श्रीवंश', श्री श्रीवंश', कच्छक, क्षत्रपकुल११,गडाकवंश१२,नाग'3,नागर, श्री श्रीमाल१५,परबड़ी६,भहेडरा, भावसार, मंत्रिदलीय", वायडर, वृद्धहुम्बड़२१, श्री वीरव ज्ञातीय२२, सिमड़ २३, १. अप्रजैलेस, सं० २१५ । २. प्रलेस, क्र० ९२, ४२०, ८२० । ३. श्री जैप्रलेस, क्र० ५४, ३४५, एवं प्रलेस क्र० १४७ । ४. श्री जैप्रलेस, क्र० ३६४ । ५. प्रलेस, क्र० ६०८, ८६१ । ६. श्री जैप्रलेस, क्र० ६४, १३७, १७५ । '७. वही, क्र० ३२९ । ८. वही, क्र० २६, ४४, १८९, ३३९, ३२४, ३६१ । ९. प्रलेस, क्र० ५४७, ५६१, ६९२, ७४७, ९५१ । १०. वही, क्र० २८० । ११. वही, क्र० ६७६ । १२. वही, क्र० ८९५ । १३. वही, ६२६ । १४. वही, क्र० १०२६ । १५. वही, परिशिष्ट ६, पृ० २५०-२५१ । १६. वही, क्र० २२१ । १७. वही, क्र० ८२१ १८. वही, क्र० ४७८ । १९. वही, क्र० ५९६, ५९७ । २०. वही, क्र० ६४५, ७४५, ८८७ । २२. वही, क्र० ९९९। २१. वही, क्र० १०३१ । २३. वही, क्र० ९१ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002114
Book TitleMadhyakalin Rajasthan me Jain Dharma
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Jain Mrs
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1992
Total Pages514
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Art
File Size21 MB
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