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________________ जैनधर्म भेद और उपभेद : १५५ श्रेष्ठी गोलक भी श्वेताम्बर धर्कट जैन था।' आबू से प्राप्त १९८६ ई. के लेख में एक धर्कट श्वेताम्बर परिवार व इसी वर्ष के एक अन्य लेख में जालौर के प्रसिद्ध धर्कट मंत्री यशोवीर का नामोल्लेख है। इस जाति का नामोल्लेख १२३० ई० के दिलवाड़ा के अभिलेख में भी मिलता है। आबू के दो अन्य अभिलेखों में भी इस जाति का उल्लेख है।५ प्रारम्भ में यह जाति राजस्थान में ही उत्पन्न हुई प्रतीत होती है, किन्तु अब दक्षिण में भी यह देखने को मिलती है । "सिरिउजपुरिया थक्कड कुल" आदि हरिषेण द्वारा प्रयुक्त शब्दों से पं० नाथूराम प्रेमी का अभिमत है कि यह जाति टोंक के आसपास सरोंज स्थान पर उत्पन्न हुई। अगरचन्द नाहटा के अनुसार इसकी उत्पत्ति धाकडगढ़ से हुई, जहाँ से महेश्वरी जाति की धाकड़ शाखा की भी उत्पत्ति हुई है। इस स्थान के निर्धारण के सम्बन्ध में इन्होंने दो प्रशस्तियों के प्रमाण प्रस्तुत किये हैं। (१२) श्रीमोढ़ जाति : श्रीमोढ़ आज भी बड़ी संख्या में हैं । कुछ श्रीमोढ़ ब्राह्मण भी हैं, जो अपने आपको "श्रीमोढ़" स्थान का होना बताते हैं। अन्हिलवाड़ा के निकट मोधेरा नामक स्थान से संभवतः यह नाम अस्तित्व में आया। हेमचन्द्र सूरि इसी जाति में पैदा हुये थे । इस जाति के नामोल्लेख के अभिलेख १२वीं शताब्दी में देखने को मिलते हैं । (१३) गुर्जर जैन जाति : ___ यद्यपि यह जाति अधिकांशतः गुजरात में पाई जाती है, किन्तु राजस्थान में भी इस जाति के उल्लेख के कुछ लेख प्राप्त होते हैं। बीकानेर के चिन्तामणि मन्दिर और मन्दिर के भूगृह में सुरक्षित १३०० ई०, १३४९ ई०, १४०० ई० और १४२७ ई० के चार प्रतिमा लेखों में गुर्जर जाति का उल्लेख है ।१० ये धातु प्रतिमाएं सिरोही की हैं। १४६९ ई० के आरासण जैन मन्दिर के एक स्तम्भ लेख में भी इस जाति का उल्लेख्न है ।११ विमलवसहि के १५४६ ई० के एक संघ यात्रा लेख में पालनपुर के संघ १. पृथ्वीराज चौहान एवं उनका काल, पृ० १६० । २. अप्रजैलेस, ५५, ५७, १२५, १५० । ३. वही, क्र० २५१, २७७ । ४. अने०, ३, प्र० १२४ ।। ५. वही। ६. जैसाऔइ, पृ० ४६८ । ७. अने०, ४, पृ० ६१० । ८. जैन पुस्तक प्रस, क्र० ५२ एवं ९३ । ९. जैइरा, पृ० १०८ ॥ १०. बीजैलेस, क्र० २३०, ४०७, ४७०, ५८१ । ११. जरा, पृ० ६२ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002114
Book TitleMadhyakalin Rajasthan me Jain Dharma
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Jain Mrs
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1992
Total Pages514
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Art
File Size21 MB
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