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________________ जैनधर्म भेद और उपभेद : १५३ के धौम्य गोत्र से ढेलन, सिंधुपाल के शांडिल्य से सिंघल, जैत्र संध के जैमिनी गोत्र से जिंदल, मंत्रपति के मैत्रेय गोत्र से मित्तल, तंबोलकर्ण के तांडव गोत्र से सिंगल, ताराचंद्र के तेतरिय गोत्र से तायल, वीरभान के वत्स गोत्र से बंसल, वासुदेव के धान्यान गोत्र से टेरण, नारसेन के नागेन्द्र गोत्र से नागिल, अमृत सेन के मांडव्य गोत्र से मंगल, इन्द्रसेन के ओर्व गोत्र से ऐरन, माधवसेन के मुकुल गोत्र से मधुकुल और गोधर के गौतम गोत्र से गोइन गोत्र अस्तित्व में आये ।' प्रशस्तियों एवं अभिलेखों में गोशल', गर्ग३, सिंघल, बंसल' आदि गोत्र देखने को मिलते हैं । राजस्थान के अग्रवाल मूलतः काष्ठा संघ से ही सम्बन्धित रहे। (८) नरसिंहपुरा एवं जायसवाल जातियाँ : नरसिंहपुरा व जायसवाल जातियाँ दिगम्बर सम्प्रदाय में मध्यकाल में मेवाड़ के नरसिंहपुरा और जैसलमेर स्थानों से प्रारम्भ हुई। विभिन्न दिगम्बर जैन सन्त इन स्थानों पर जैन मत के प्रचार के लिये गये और लोगों के द्वारा स्वीकार कर लेने पर ये जातियां अस्तित्व में आईं। इन जातियों का नामकरण स्थान के आधार पर हुआ। (९) चित्तौड़ा व नागदा जातियाँ : दिगम्बर जैनों में चित्तौड़ा और नागदा जातियाँ क्रमशः चित्तौड़ा और नागदा से उत्पन्न हुई। ये जातियाँ क्रमशः मध्यकाल में सम्भवतः एक के बाद एक अस्तित्व में आई। इन जातियों के लोगों ने मध्यकाल में कई ग्रन्थों की प्रतिलिपियाँ करवा कर जैनाचार्यों को भेंट की। इन्होंने मन्दिर एवं मूर्तियों के विशाल स्थापना महोत्सव भी आयोजित करवाये । ये मुख्यतः बागड़ के मूलसंघ के भट्टारकों से सम्बन्धित थे । इनके काष्ठा संघ से सम्बन्धित होने के भी प्रमाण मिलते हैं। १५वीं शताब्दी में भट्टारक जिनभूषण ने नागदा जाति पर "नागदहरास" लिखा । (१०) हुम्मड़ जाति : ___ इस जाति का उत्पत्ति स्थान ज्ञात नहीं है। संभवतः अन्य जातियों की तरह यह १. गुणार्थी, पृ० ५६ । २. प्रस, पृ० ८५। ३. वही, पृ० ११९ । ४, वही, पृ० ८२ । ५. वही, पृ० ९७ । ६. जैइरा, पृ० १०७ । •७. उदयपुर के बडा बाजार के संभवनाथ दि० जै० म० के शास्त्र भण्डार में संग्रहीत । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002114
Book TitleMadhyakalin Rajasthan me Jain Dharma
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Jain Mrs
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1992
Total Pages514
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Art
File Size21 MB
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