SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 167
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १४४ : मध्यकालीन राजस्थान में जैनधर्म श्रीमालों के गोत्र : इस जाति में विभिन्न विधियों से गोत्र उत्पन्न हुए । अम्बिका गोत्र देवी अम्बिका से उत्पन्न हुआ प्रतीत होता है । १४७७ ई० में इस गोत्र के एक श्रेष्ठी ने अपने पूर्वजों की स्मृति में लक्ष्मी सागर सूरि से शान्तिनाथ की प्रतिमा स्थापित करवाई थी।' अईलहर गोत्र का उल्लेख १४४२ ई० के अभिलेख में उपलब्ध होता है। गोवलिया गोत्र और घेवरिया गोत्र के अभिलेख भी उपलब्ध हैं। १४५२ ई० के अभिलेख के वर्णन के अनुसार गांधिक गोत्र के जावद ने धर्मनाथ की प्रतिमा स्थापित की।" १४७६ ई० में गौतम गोत्र के पासद के द्वारा शान्तिनाथ की प्रतिमा का प्रतिष्ठा समारोह आयोजित किया गया था। इस गोत्र की उत्पत्ति गौतम नाम के सन्त के कुल से उत्पन्न हुई प्रतीत होती है। चण्डालेया गोत्र" और दशुदा गोत्र का भी अभिलेखों में उल्लेख मिलता है। दोसी गोत्र', नलूरिया, जूनीवाल गोत्र, झुंगरिया गोत्र, नावर गोत्र"", भाँडिया गोत्र १२, मूथिया गोत्र, मांथलपुरा गोत्र ४, वहगटा गोत्र१५, श्रेष्ठी गोत्र ६, सिंघड गोत्र', फोफलिया गोत्र, भाण्डावत गोत्र, मूसल गोत्र२०, और १. नाजैलेस, क्र० ११६३ । २. वही, १६७६ । ३. वही, ४१२। ४. वही, ४१३ । ५. वही, २३२९ । ६. वही, २४६४ । ७. वही, ८३० । ८. वही, ३८। ९. वही, ३९१ । १०. वही, १९९३ । ११. वही, १९७४ । १२. वही, १९५६ । १३. वही, १९६७ । १४. वही, १९३२ । १५. वही, २०८५ । १६. वही, १२२४ एवं १२२७ । १७. वही, ७३७, ८२३ । १८. वही, ५७७ । १९. वही, ५७७ । २०. वही, २३३३ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002114
Book TitleMadhyakalin Rajasthan me Jain Dharma
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Jain Mrs
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1992
Total Pages514
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Art
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy