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________________ जैनधर्म भेद और उपभेद : ११७ का उल्लेख है। सागोदिया ऋषभदेव मन्दिर की आदिनाथ पंचतीर्थी के १४७४ ई० के लेख में मूलसंघ के भुवनकीर्ति के शिष्य ज्ञानभूषण का नामोल्लेख है । । सवाई माधोपुर विमलनाथ मन्दिर की संभवनाथ पंचतीर्थी के १४७८ ई० के लेख में भी उक्त आचार्यों के नाम हैं। किशनगढ़ शान्तिनाथ मन्दिर की पार्श्वनाथ प्रतिमा पर १४९१ ई० के लेख में मूलसंघ के साथ केवल सरस्वती गच्छ का उल्लेख है। किशनगढ़ के यति स्वरूपचन्द्र उपाश्रय की पार्श्वनाथ एकतीर्थी के १५२८ ई० के लेख में मूलसंघ के विजयकीति का वर्णन है। इसी उपाश्रय में एक पंचतीर्थी के १५४५ ई० के लेख में मूलसंघ के भट्टारक लाभचन्द्र का उल्लेख है। दाहोद पाश्वनाथ मन्दिर के शान्तिनाथ चतुविशति पट्ट के १५५९ ई० के लेख में मूलसंघ, सरस्वती गच्छ, बलात्कार गण, कुन्दकुन्दाचार्यान्वय के सकलकीर्ति का उल्लेख है । भेंसरोडगढ़ में उपलब्ध पार्श्वनाथ प्रतिमा के १५६२ ई० के लेख में मूलसंघ के शुभचन्द्र के पट्टधर सुमतिकीर्ति का उल्लेख है।' मेड़ता के चिंतामणि पार्श्वनाथ मन्दिर के नवपट्ट यन्त्र के १५६३ ई० के लेख में सुमतिकीर्ति का उल्लेख है । अजमेर म्यूजियम की मुनिसुव्रत मूर्ति के १५६८ ई० के लेख, और जयपुर सुमतिनाथ मन्दिर के पार्श्वनाथ मूर्ति के १५७१ ई० के लेख में सुमतिकीर्ति का उल्लेख है। हरसूली के पार्श्वनाथ मन्दिर के श्रेयांसनाथ चतुर्विंशति पट्ट के १५७५ ई० के लेख में केवल मूलसंघ का उल्लेख है।११ अजमेर म्यूजियम की आदिनाथ प्रतिमा के लेख और चॅदलाई शान्तिनाथ मन्दिर की शान्तिनाथ प्रतिमा के १५९४ ई० के लेख में भी मूलसंघ का उल्लेख है ।१२ १. प्रलेस, क्र० ६६२ । २. वही, क्र० ७३२ । ३. वही, क्र० ७९१ । ४. वही, क्र० ८५१ । वही, क्र० ९५७ । वही, क्र० १००३ । ७. वही, क्र० १०१५ । ८. वही, क्र० १०१७ । ९. वही, क्र० १०१९ । १०. वही, क्र० १०२४, १०२६ । २१. वही, क्र. १०२८ । १२. वही, क्र. १०३८, १०४९ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002114
Book TitleMadhyakalin Rajasthan me Jain Dharma
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Jain Mrs
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1992
Total Pages514
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Art
File Size21 MB
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