SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 133
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ११० : मध्यकालीन राजस्थान में जैनधर्म (ख) दिगम्बर सम्प्रदाय में भेद-प्रभेद : (ख-१) प्रवर्तमान संघ : १. काष्ठा संघ : ___ "दर्शनसार" के अनुसार द्रविड़ संघ की भाँति यह भी एक धर्म विरोधी व अलगाववादी पंथ था। कुमारसेन ने मर्यादा से च्युत होने पर पुनः साधु जीवन ग्रहण नहीं किया, अपितु ६९६ ई० में "काष्ठा संघ" नामक एक पृथक् संघ स्थापित किया। इस संघ की स्थापना नान्देड़ में हुई । काष्ठा संघ का नाम दिल्ली के निकटवर्ती 'काष्ठा' नामक ग्राम के आधार पर रखा गया। सुरेन्द्र कीर्ति ने काष्ठा संघ के ४ भेद बताये हैं--१. काष्ठा संघ का माथुर गच्छ, २. काष्ठा संघ का बागड़ गच्छ, ३. काष्ठा संघ का लाड़वागड़ गच्छ और ४. काष्ठा संघ का नंदी तट गच्छ । सुरेन्द्र कीति स्वयं नंदीतट गच्छ के आचार्य थे। ऐसा प्रतीत होता है कि प्रभेद पहले से ही अस्तित्व में थे और बाद में काष्ठा संघ के ही अंग बन गये । कुमार सेन के समय में यह संघ बागड़ प्रदेश में बहुत प्रचलित हुआ । इस संघ की परम्परायें मूल दिगम्बर संघों से बहुत भिन्न हैं। काष्ठा संघ के निम्नलिखित भेद-प्रभेद हैं :-- आम्नाय : १. जिनकीर्ति आम्नाय २. लोहाचार्य आम्नाय५ ३. रामसेन आम्नाय अन्वय: १. अग्रोतक अन्वय २. खण्डेलवाल अन्वय ३. लोहाचार्य अन्वय ४. माथुर अन्वय ५. रामसेन अन्वय१ १. पुष्कर गच्छ१२ १. पुष्कर गण १. दर्शनसार, पृ० १४ । २. जैसेस्कू, पृ० ११२ । ३. वही। ४. जैसिभा, १२, अंक २, पृ० ६-८ । ५. नाजैलेस, १, क्र० १४५-३२७ । ६. वही, क्र० ६४१ । ७. वही, क्र० १४५ एवं ३२७ । ८. जैसिभा, १२, अंक २, पृ० ६.८ । ९. नाजैलेस, १, क्र० ३२६ । १०. वही, भाग २, क्र० १४८३ । ११. वही, १, क्र. ५४१ । १२. जैसेस्कू, पृ० १२५ । १३. नाजैलेस, भाग २, क्र. ११३५ । "गच्छ : Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002114
Book TitleMadhyakalin Rajasthan me Jain Dharma
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Jain Mrs
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1992
Total Pages514
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Art
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy