SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 120
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैनधर्म भेद और उपभेद : ९७ के साधुओं को देश निकाला दे दिया गया। कुमारपाल की मृत्यु के उपरान्त आचार्य सुमति सिंह पाटन आये। उन्होंने अपने आपको सारधा पूणिमिया गच्छ से संबंधित बताया। इस गच्छ के अनुयायी फलों से पूजन नहीं करते हैं। राजस्थान से बाहर उत्पन्न होने पर भी यहाँ इस गच्छ के अनुयायी थे । मध्यकाल में यह सिरोही, मारवाड़, जैसलमेर, जोधपुर, नागौर, अजमेर और उदयपुर क्षेत्रों में प्रचलित रहा । इस गच्छ में ३ शाखाएं निर्मित हुई3-प्रधान शाखा, भीमपल्लीय शाखा और साधु शाखा । सिरोही क्षेत्र से इस गच्छ के उल्लेख के ४३ प्रतिमा लेख देखने को मिले हैं, जो १३४७ ई० से १५६७ ई० तक के हैं । ५. पूर्णिमा पक्षीय--पूर्णिमा गच्छ से ही यह शाखा सम्भवतः संबद्ध रही होगी। इस गच्छ का उल्लेख १३२९ ई० से १५४७ ई० तक राजस्थान के विभिन्न जैन मंदिरों से प्राप्त २८ मूर्ति लेखों में मिलता है। ६. पूर्णिमापक्षे भीम पल्लीय गच्छ-पूर्णिमा गच्छ की भीमपल्लीय शाखा का उल्लेख १४५६ ई०९, व १५१९ ई०१० के लेखों में द्रष्टव्य है। ७. पूर्णिमापक्षे कच्छोलीवाल-पूर्णिमा गच्छ की इस शाखा का उल्लेख १४५६ ई०११, १४७४ ई०१२, १४६८ ई०१३ और १४७० ई०१४ के ही एक अन्य प्रतिमा लेख में देखा जा सकता है। १. श्रभम, ५, खण्ड २, पृ० ६५ । २. नाजैलेस भाग १, २, ३ एवं अप्रजैलेस । ३. जैसेस्कू, पृ० ५६ । ४. नाजैलेस, ३, क्र० २२९४, २४८४ । ५. वही, क्र० २३०९, २३४२ । ६. वही, क्र० २४६९, २४५७ । ७. श्री जैप्रलेस, क्र० १७८, ७०, २७३, ५४, १३९, ३६०, ११९, २२१, १८, ९४, १२१, ३५६, ३६३, २८, २, ३६८, ५६, २६२, ३२, १४०, १४१, ९३, ७१, ८, २६१, ७९, १६८, ११, ९५, १२६, २१७, १६६, २०७, ३१, २४६, १०१, २९, २०७, २६७, ५३, ३६२, २२६ । ८. प्रलेस, परि० २, पृ० २२६ । ९. प्रलेस, क्र० ५२१ । १०. वही, क्र० ९६२ । ११. वही, क्र० ५२३ । १२. वही, क्र० ६५७ ॥ १३. वही, क्र० ८४ । १४. वही, क्र० ६८५ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002114
Book TitleMadhyakalin Rajasthan me Jain Dharma
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Jain Mrs
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1992
Total Pages514
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Art
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy