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________________ ९४ : मध्यकालीन राजस्थान में जैनधर्म की श्वेत संगमरमर की पद्मप्रभु की प्रतिमा वर्तमान में मारोठ में है ।' ११७५ ई० में हेत्या और उसके पुत्र विल्हण ने मारोठ में एक प्रतिमा इस संघ के यशकीर्ति द्वारा ही प्रतिष्ठित करवाई।२ ११७० ई० के बिजौलिया शिलालेख के लेखक माथुर संघ के गुणभद्र थे । उदयपुर के निकट रूपाहेली के जैन मन्दिर में ११७६ ई० के चौकोर जैन स्तम्भ पर उत्कीर्ण अभिलेख से ज्ञात होता है कि यह स्तम्भ माथुर संघ के एक आचार्य की अजिका की शिष्या पद्मश्री के द्वारा निर्मित करवाया गया था। अजमेर म्यूजियम में रखी पार्श्वनाथ प्रतिमा के ११७४ ई० के लेख में माथुर संघ का उल्लेख है ।" इसी प्रकार यहीं रखी एक सरस्वती मूर्ति के ११७९ ई० के लेख में माथुर संघ के आचार्य चारुकीति का उल्लेख है।६ ३. लाडोवागड़ संघ :-अजमेर म्यूजियम में रखी हुई एक प्रतिमा के ११७९ ई० के अभिलेख में इस संघ का नामोल्लेख है । यह संघ सम्भवतः दक्षिणी राजस्थान में वागड़ प्रदेश से सम्बन्धित था। मध्यकाल में यह संघ काष्ठा संघ में विलीन होकर उसका एक गच्छ बन गया। (२) मध्यकाल : ( क ) श्वेताम्बर सम्प्रदाय में भेद-प्रभेद : (क-१ ) प्रवर्तमान गच्छ : १३वीं से १६वीं शताब्दी तक राजस्थान में निम्नलिखित गच्छों का अस्तित्व देखने को मिलता है। १. अंचल गच्छ-इसका पूर्वनाम विधि पक्ष था जिसका उद्देश्य शुद्ध एवं शास्त्रोक्त सिद्धान्तों का पालन करना था। एक बार कोती नामक व्यापारी ने पाटण में प्रतिक्रमण के समय मुँहपत्ती के स्थान पर अपने ही वस्त्र ( अंचल ) का प्रयोग किया । कुमारपाल ने अपने गुरु विजयचन्द से इसका कारण पूछा। गुरु ने उसे नये विधि पक्ष के बारे में १. संवत् १२३२ फाल्गुन सुदी १० माथुर संघे पण्डिताचार्य श्री यशकीर्ति भक्त श्रेष्ठी मनोरथ सुत कुलचन्द्र लक्ष्मीय श्रीयसे करितेय । २. संवत् १२३२ फाल्गुन सुदी १० माथुर संघे पण्डिताचार्य श्री यशकीर्ति भवतेन साह हेत्याकेन पुत्र वील्हण हुतेन श्रेय संकारितेय । ३. एइ, २४, पृ० ८४ ।। ४. एरिराम्युअ, १९२५-२६, क्र० ३ । ५. प्रलेस, ३४ । ६. वही, ३८। ७. वही, ३९। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002114
Book TitleMadhyakalin Rajasthan me Jain Dharma
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Jain Mrs
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1992
Total Pages514
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Art
File Size21 MB
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