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जैनधर्म भेद और उपभेद : ८७ जाना चाहिये। सिरोही के अजितनाथ मन्दिर में ११७७ ई० की इस गच्छ के उल्लेख की प्रतिमा है।
११. चन्द्र गच्छ--चन्द्र कुल से काल क्रम में उत्पन्न इस गच्छ के लेख ११८२ ई० के जालौर से' व ११२५ ई० के सिरोही से प्राप्त होते हैं।
१२. यश सूरि गच्छ-इस गच्छ की उत्पत्ति आचार्य यश सूरि से हुई। अजमेर से प्राप्त ११८५ ई० के लेख में इसका उल्लेख है।
१३. भावदेवाचार्य गच्छ-भावदेवाचार्य के नाम से इस गच्छ का प्रारम्भ हुआ। सेलाना के मुनि सुव्रत मन्दिर में ११५७ ई० के मूर्ति लेख में इस गच्छ का उल्लेख है।"
१४. भावहर्ष गच्छ-मुनि भावहर्ष से इस गच्छ की उत्पत्ति हुई। बालोतरा से प्राप्त ९५२ ई० के प्रतिमा लेख में इस गच्छ का नामोल्लेख है।६
१५. धनेश्वर गच्छ-धनेश्वर सूरि के नाम पर इस गच्छ की उत्पत्ति की गई होगी। घटियाला से प्राप्त ८६१ ई० के अभिलेख में इस गच्छ का उल्लेख है।
१६. काम्यक गच्छ-श्रीपथ ( बयाना) से प्राप्त १०४३ ई० के लेख में इस गच्छ का नामोल्लेख है। इस गच्छ की उत्पत्ति वर्तमान कामा से हुई।
१७. ओसवाल गच्छ-ओसवाल जाति से सम्बन्धित इस गच्छ का उल्लेख १०४३ ई० के प्रतिमा लेख में मिलता है।
१८. ब्राह्मी गच्छ-इस गच्छ का उत्पत्ति स्थान व कारण अज्ञात है। पाली से प्राप्त १०८७ ई० के अभिलेख में इस गच्छ का नाम उपलब्ध है।
१९. देवाभिदित गच्छ-देलवाड़ा ( मेवाड़ ) से प्राप्त ११४४ ई० के लेख में इस गच्छ का नामोल्लेख है ।११ १. प्रलेस, क्र० ३६ । २. नाजैलेस, क्र० ८९९ । ३. अप्रजेलेस । ४. जैसेस्कू, पृ० ५९ ॥ ५. प्रलेस, क्र० २४ । ६. नाजैलेस, १, क्र० ७३६ । ७. वही, क्र० ९४५ । ८. जेसेस्कू, पृ० ५३ । ९. प्राजैलेस, २, क्र० ३१६ । १०. एइ, १, पृ० ११९, ३१९-२४ । ११. नाजलेस, २, क्र० १९९८ ।
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