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________________ विषय - सूची xxiii ३४० ३४१ ३४३ जैन दर्शन में अपोहवाद का निरसन अकलङ्क द्वारा निरसन पूर्वपक्ष ३४१,उत्तरपक्ष ३४१ विद्यानन्द द्वारा निराकरण अभयदेवसूरि का योगदान प्रभाचन्द्र का चिन्तन पूर्वपक्ष ३४५, उत्तरपक्ष ३४६ समीक्षण प्रमेय, प्रमाणफल और प्रमाणाभास बौद्ध दर्शन में द्विविध प्रमेय ३४५ ३५१ ३५२-३८४ षष्ठ अध्याय ३५२ स्वलक्षण ३५४ ३५५ ३५६ ३५७ ३५८ ३५९ सामान्यलक्षण स्वलक्षण एवं सामान्यलक्षण में भेद विज्ञानवाद में प्रमाण,प्रमेय एवं फलव्यवस्था जैनदर्शन में प्रमेय सामान्य-विशेषात्मक प्रमेय का स्वरूप बौद्ध सम्मत प्रमेय का खण्डन एवं सामान्य विशेषात्मक प्रमेय की सिद्धि अकलङ्क ३५९,विद्यानन्द ३६१, माणिक्यनन्दी ३६१,वादिदेवसूरि ३६२, समीक्षण प्रमाण-फल बौद्ध दर्शन में प्रमाण-फल व्यवस्थाप्य-व्यवस्थापकभाव तदुत्पत्ति,तद्रूपता एवं तदध्यवसाय जैन दर्शन में प्रमाण-फल ३६२ ३६३ ३६५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002113
Book TitleBauddh Pramana Mimansa ki Jain Drushti se Samiksha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1995
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Culture, & Religion
File Size20 MB
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