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________________ समाधिमरण महासम्मेलन'- ( १ ) पाटलिपुत्र वाचना, (२) माथुरी वाचना और (३) वल्लभी वाचना के नाम से जाने जाते हैं। ४६ (१) पाटलिपुत्र वाचना- प्रथम सम्मलेन महावीर निर्वाण के लगभग १६० वर्षों बाद ईसा पूर्व ३६७ ई० में हुआ, जिसमें ग्यारह अंगों का संकलन किया गया। (२) माथुरी वाचना द्वितीय सम्मेलन महावीर निर्वाण संवत् ८२५ के लगभग आचार्य स्कन्दिल के नेतृत्व में मथुरा में हुआ, जिसमें अंग-प्रवृष्ट एवं अंग बाह्य ग्रन्थों का संकलन स्मृति के आधार पर किया गया। इसी समय वल्लभी में भी नागार्जुन की अध्यक्षता में एक वाचना हुई थी। (३) अन्तिम वल्लभी वाचना- महावीर निर्वाण संवत् ९८० के लगभग वल्लभी में तृतीय सम्मेलन हुआ, जिसमें विभिन्न पाठान्तरों का केवल एक समन्वयात्मक रूप ही प्रस्तुत किया गया, कोई नई वाचना नहीं जोड़ी गयी । जैन आगम साहित्य के अंग, उपांग, छेद, मूल, प्रकीर्णक आदि विभिन्न उपविभाग हैं। इन सभी उपविभागों से सम्बन्धित ग्रन्थों में जैनधर्म के दार्शनिक, नैतिक एवं धार्मिक विचार संकलित हैं । आगम साहित्य के अतिरिक्त जैनाचार्यों ने अन्य ग्रन्थों की भी रचना की हैं। इन समग्र प्राचीन आगम साहित्य में निम्नलिखित ग्रन्थ समाश्विमरण की साधना प्रर प्रकाश डालते हैं- (१) आचारांग, (२) स्थानांग, (३) समवायांग, (४) उपासकदशांग (५) अन्तकृत्शा, (६) अनुत्तरोपपातिकदशा, (७) उत्तराध्ययन एवं (८) दशवैकालिक । इनके अतिरिक्त शौरसेनी प्राकृत में रचित मूलाचार में समाधिमरण की साधना पर पर्याप्त विवरण उपलब्ध होता है। उपर्युक्त प्राकृत भाषा के ग्रन्थों में यथाप्रसंग समाधिमरण की साधना की चर्चा हुई है, किन्तु कुछ ग्रन्थ ऐसे भी लिखे गए हैं जो मुख्यतः समाधिमरण की साधना को ही प्रतिपादित करते हैं। इनमें निम्न प्रमुख प्राकृत ग्रन्थ हैं - (१) आतुरप्रत्याख्यान, (२) महाप्रत्याख्यान, (३) मरणविभत्ति, (४) भक्तपरिज्ञा, (५) संस्तारक और (६) भगवती आराधना इनके अतिरिक्त संस्कृत भाषा में रचित निम्न ग्रन्थ भी समाधिमरण की साधना का विवरण प्रस्तुत करते हैं- (१) आराधनासार, ( २ ) समाधिशतक, (३) रत्नकरंडक श्रावकाचार, (४) धर्मामृत (सागार), (५) उपासकाध्ययन आदि । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002112
Book TitleSamadhimaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajjan Kumar
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year2001
Total Pages238
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Epistemology
File Size10 MB
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