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________________ १२ समाधिमरण रहते हैं। इसी कारण संन्यासमरण को समाधिमरण का पर्यायवाची माना गया है।२२ अन्तःक्रिया ___अन्त:क्रिया को भी समाधिमरण का पर्यायवाची माना गया है। रत्नकरण्डकश्रावकाचार के अनुसार समाधिमरण की क्रिया जीवन के अन्तिम भाग में पूर्ण की जाती है- इसी कारण यह अन्त:क्रिया के नाम से भी जाना जाता है। पुन: सम्यक्-चारित्र के अन्त में इसका निर्देश होने से भी इसे अन्तःक्रिया कहते हैं। यह सम्यक्-चारित्र की साधना का अन्तिम धार्मिक अनुष्ठान है तथा जीवन के अन्तिम भाग में की जानेवाली समीचीन क्रिया है।२३ उत्तमार्थ उत्तमार्थ समाधिमरण का पर्यायवाची नाम है। संथारपइन्ना में उत्तमार्थ नाम का प्रयोग किया गया है। उत्तमार्थ का अर्थ है- उत्तम अर्थ ।२४ यहाँ अर्थ का तात्पर्य उद्देश्य या लक्ष्य है। साधना का अन्तिम एवं सर्वश्रेष्ठ लक्ष्य मोक्ष है। यही कारण है कि मोक्ष को उत्तमार्थ कहा जाता है और मोक्ष का साधन होने से समाधिमरण को भी उत्तमार्थ कहा गया है। उद्युक्तमरण ___ समाधिमरण के विभिन्न नामों में से एक नाम उद्युक्तमरण भी है२५, जिसका अर्थ होता है- उद्योगपूर्वक, प्रयत्नपूर्वक, सम्यग्विधिपूर्वक, पराक्रमपूर्वक, आलोचनापूर्वक, क्षमापनापूर्वक मृत्यु को प्राप्त करना। समाधिमरण के ये विविध पर्यायवाची नाम वस्तुत: उसके विविध पक्षों के सूचक कहे जा सकते हैं। कारण कि समाधिमरण एक प्रक्रिया है जिसमें शास्त्रसम्मत विधियों का पालन करते हुए व्यक्ति राग-द्वेष, ममत्व आदि सभी प्रकार के कषायों को अल्प करता है। कषायों को अल्प किए बिना समाधिमरण संभव नहीं है, अल्प कषायवाला व्यक्ति अपने शरीर पर कम ममत्व रखता है। इसी कारण जब उसके समक्ष शरीरत्याग का प्रसंग उपस्थित होता है तब भी वह समत्वभाव से युक्त रहता है और समभावपूर्वक शरीरत्याग करता है। जैन परम्परा में समाधिमरण का स्थान जैनधर्म में वर्णित योग-साधना में समाधिमरण की साधना सबसे कठिन है, किन्तु Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002112
Book TitleSamadhimaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajjan Kumar
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year2001
Total Pages238
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Epistemology
File Size10 MB
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