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समाधिमरण वर्ष की अवस्था में हुआ।१५९
___महासती श्री लज्जावंती जी ने लुधियाना में १० दिनों का उपवास करके समाधिमरणपूर्वक अपना देहत्याग किया। उनका समाधिमरण १० अप्रैल १९७८ ई० को .: हुआ था।६०
साध्वी श्री हंगाम कुंवर जी का समाधिमरण रतलाम में १४ अप्रैल १९८० को हो गया। अपने समाधिमरण व्रत के क्रम में उन्होंने ५७ दिन का उपवास किया था।१६१
प्रज्ञापुरुष क्षुल्लक जिनेन्द्र वर्णी का समाधिमरण २४ मई १९८३ को हुआ था। उनका देहावसान ४२ दिनों के संथारा व्रत के बाद हुआ था।६२
साध्वी किरण का समाधिमरण ५३ दिन के अनशन के बाद लाडनूं में हो गया। साध्वीश्री आचार्य तुलसी की शिष्या थी।१६३
साध्वी लिखभावत जी का समाधिमरण फतेहपुर में हुआ। इन्होंने २४ दिनों का अनशन किया था। इनका समाधिमरण २ अगस्त, १९८७ को हुआ था।१६५
श्री घेवरचन्द सुराणा ने ३० दिनों के उपवास व्रत के बाद समाधिमरणपूर्वक अपना देहत्याग किया। श्री सुराणा आचार्य श्री तुलसी के गृहस्थ अनुयायी थे। इनका समाधिमरण १ सितम्बर १९८७ को पूर्ण हुआ।१६५
श्रीमती मनोहरी देवी ने हैदराबाद में २२ दिनों के उपवास के बाद समाधिमरणपूर्वक अपना देहत्याग दिया।१६६
श्रीमती हीराबाई बरमेचा ने घोड़नदी में ४५ दिनों के अनशन के बाद समाधिमरणपूर्वक अपना देहत्याग किया। इनका स्वर्गवास १३ जुलाई १९८७ को
हुआ।१६७
सरदारशहर (राजस्थान) की श्रीमती भंवरी देवी बोरड़ ने ६३ दिनों के संथारे के बाद ११ सितम्बर १९८७ को समाधिमरणपूर्वक अपना देहत्याग किया।१६८
श्री बद्रीप्रसाद जी महाराज ने ७३ दिनों के संथारे के बाद १६ अक्टूबर १९८७ को समाधिमरण किया। इनका समाधिमरण सोनीपत में हुआ।१६९ ।
श्रीमती जेठीबाई गुंदेचा का १५ दिवसीय संथारा व्रत के पश्चात् समाधिमरणपूर्वक देहावसान हो गया।१७०
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