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________________ समाधिमरण का व्यवहार पक्ष १६१ सुविधा प्राप्त करने की आकांक्षा रखना। रत्नकरण्डकश्रावकाचार में भी समाधिमरण के इन पाँच अतिचारों का वर्णन मिलता है। इसके अनुसार ये पाँच अतिचार इस प्रकार हैं१७२ (i) जीविताशंसा, (ii) मरणाशंसा, (iii) भयाशंसा, (iv) मित्रानुरागाशंसा और (v) निदानाशंसा । (i) जीविताशंसा-मन में जीने की आकांक्षा रखना। समाधिमरण करनेवाले को मन में इस तरह की आकांक्षा नहीं रखनी चाहिए- मैं कुछ समय तक और जीवित रहता तो अच्छा होता है। (ii) मरणाशंसा- मृत्यु की आकांक्षा। समाधिमरण की साधना में व्यक्ति को भूख, प्यास, सर्दी, गर्मी आदि अनेक कष्टों को सहन करना होता है। निर्जन व सुनसान स्थान पर साधना करनी होती है। इससे उसके कष्टों में अभिवृद्धि होती है। इन कष्टों के कारण उसे अपने मन में इस तरह का विचार नहीं करना चाहिए कि मैं शीघ्र ही मर जाता तो अच्छा होता। (iii) भयानुशंसा- भय सम्बन्धी अवधारणा । यह दो प्रकार का होता है(क) इहलोक भय और (ख) परलोक भय । (क) इहलोक भय- ऐहिक सुखों की कामना करना। समाधिमरण की साधना के लिए जो अनशन व्रत लिया है, इस कारण मेरे शरीर को बहत कष्ट होगा या व्यर्थ ही इतना कष्ट उठाना होगा आदि इहलोक भय है। कहने का अर्थ यह है कि सांसारिक सुखों की कामना नहीं करनी चाहिए। यथासम्भव इससे बचने का प्रयास करना चाहिए। (ख) परलोक भय-पारलौकिक सुखों की कामना करना। समाधिमरण करनेवालों को इस तरह की भावना से दूर रहना चाहिए "हमने इतनी कठोर साधना का व्रत तो ले लिया है, क्या पता परलोक में मुझे इसका मिलेगा कि नहीं? अगर मिलेगा भी तो किस तरह का?" ___ (iv) मित्रस्मृति अतिचार- बाल्यावस्था में या अभी तक जिन-जिन मित्रों के साथ रहा उनको याद करना मित्रस्मृति नामक अतिचार है। क्षपक को मित्रस्मृति अतिचार से बचना चाहिए। (v) निदान अतिचार- आगामी भोग-उपभोग आदि की आकांक्षा करना निदान अतिचार है। क्षपक को इस तरह की आकांक्षाओं का त्याग करना चाहिए। पुरुषार्थसिद्धयुपाय में समाधिमरण के इन पाँच अतिचारों का वर्णन इस प्रकार Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002112
Book TitleSamadhimaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajjan Kumar
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year2001
Total Pages238
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Epistemology
File Size10 MB
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