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१०८.
समाधिमरण मर्यादित भूमि (निर्धारित सीमा क्षेत्र) से बाहर आ जा नहीं सकता है। पादोपगमन (प्रयोपगमन) में पेशाब, शौच आदि आवश्यक क्रियाओं के अतिरिक्त शारीरिक अंग-उपांगो का संकोच-विस्तार एवं हलन-चलन आदि सभी क्रियाओं का त्याग होता है।
समाधिमरण के उपर्युक्त तीनों भेद- भक्तप्रत्याख्यानमरण, इंगिनिमरण तथा प्रायोपगमनमरण-पर विस्तार से चर्चा की गई है। मरण के इन तीनों ही प्रकार में साधक यावज्जीवन के लिए चतुर्दिक या त्रिविध आहार का त्याग करके समभावपूर्वक मृत्यु आगमन की प्रतीक्षा करता है। भक्तप्रत्याख्यानमरण करनेवाला साधक भोजन का त्याग करता है तथा अपनी सेवा-सुश्रुषा एवं आवश्यक कार्यों का सम्पादन स्वयं भी करता है एवं आवश्यकता होने पर अन्य व्यक्तियों से भी सहायता लेता है। भक्तप्रत्याख्यानमरण की चर्चा करते हुए उसके दो रूपों-सविचार और अविचार पर भी विचार किया गया है। सविचार आयकाल अधिक रहने पर तथा अविचार आयुकाल कम रहने पर किया जाता है। सविचार भक्तप्रत्याख्यानमरण की विवेचना चालीस अधिकारों/द्वारों की सहायता से की गई है। इन अधिकारों/द्वारों में सविचार भक्तप्रत्याख्यान लेनेवाले की योग्यता से लेकर उसकी मृत्यु होने के समय तक क्या-क्या करना चाहिए और क्या-क्या नहीं करना चाहिए इस पर विस्तार से विवचन किया गया है। इस काल में किस तरह का आचरण करना चाहिए. कैसे कषाय एवं काय को क्षीण करना चाहिए, किस तरह के संथारे का उपयोग करना चाहिए, किस तरह की भावना मन में रखनी चाहिए तथा कैसे आचार्य के पास अपने गुण-दोष के जोचना करनी चाहिए आदि पर विस्तार से प्रकाश डाला गया है। अन्त में आराधकब अपने शरीर का त्याग कर देता है, तब किस प्रकार से उसका अन्तिम संस्कार करना चाहिए.इस पर भी चर्चा की गई है।
इंगिनीमरण लेनेवाला व्यक्ति स्थान-विशेष को इंगित करके उसी सीमा क्षेत्र में विहार करते हुए अपनी आवश्यक क्रियाओं का सम्पादन करता है। अपने कार्यों को पूर्ण करने के लिए वह स्वयं उत्तरदायी होता है। इस कार्य के लिए वह किसी अन्य व्यक्ति से मदद नहीं लेता है। इस मरण को स्वीकार करनेवाला साधक नियत क्षेत्र में संथारे पर आरूढ़ होकर काय और कषाय को क्षीण करते हुए शान्त चित्त से मृत्यु आगमन की प्रतीक्षा करता है।
प्रायोपगमनमरण करनेवाला व्यक्ति कटे हुए पेड़ के डाल की भाँति एक स्थान पर पड़ा रहता है। अपनी आवश्यक क्रियाओं का सम्पादन करने के लिए वह न तो स्वयं अपनी सहायता करता है और न किसी दूसरों से सहायता लेता है, परन्तु इस अनशनमरण में • एक छूट यह है कि व्यक्ति मल-मूत्र त्याग करने के लिए जीवादि प्राणियों से मुक्त स्थानों
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