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११२ : आचारांग का नीतिशास्त्रीय अध्ययन
संग्लन हो जाए । १४४ इस दृष्टि से आचारांग पूर्णतावाद के द्वारा प्रतिपादित मान्यता का समर्थक है ।
पूर्णतावादी विचारक मानते हैं कि नैतिकता एक आदर्श है । आदर्श आत्मा शाश्वत एवं अनन्त विकास की प्रकिया है । पूर्णतावाद और विशेष रूप से ब्रेडले का मत है कि जितनी अधिक नैतिक प्रगति होती है उतना ही नैतिक आदर्श दूरस्थ एवं उच्चतर होता जाता है । अनन्त विकास की प्रकिया भी अनन्त है वह कभी समाप्त नहीं होती । इस सन्दर्भ में आचारांग और पूर्णतावाद में थोड़ा विचार-भेद परिलक्षित होता है । आचारांग भी पूर्णतावाद के समान यह तो मानता है नैतिक जीवन एक आदर्श आत्मा की अनन्त विकास की प्रकिया है, किन्तु साथ ही वह उस परम आदर्श के यथार्थ बन जाने में भी विश्वास प्रकट करता है, जबकि पूर्णतावाद इस तथ्य को स्वीकार नहीं करता । आचारांगकार की मान्यता है कि हम सतत् परिश्रम एवं साधना के द्वारा अपनी आत्मा में निहित अनन्त अव्यक्त शक्तियों को प्रस्फुटित कर पूर्णता तक पहुँच सकते हैं । हम इसी जीवन में समस्त कर्मों को क्षय करके नैतिक साध्य ( मोक्ष ) को प्राप्त कर सकते हैं। इस अवस्था में हमारी मूलभूत क्षमताएं पूर्णतः अभिव्यक्त हो जाती हैं इसीलिए कहा गया है कि जो कर्मक्षय करने की प्रकिया को जानता है और जो मुक्ति या मोक्ष मार्ग को जानता है वह कर्म-क्षय की प्रकिया को जानता है । १४५
कर्म-क्षय की प्रक्रिया आभ्यन्तर साधना से ही सम्भव है । इसीलिए सूत्रकार कहता है कि हे पुरुष । तू अपना ही निग्रह कर १४६ अर्थात् बहिर्मुखी प्रवृत्ति से हटकर भीतर की गहराई में पहुँचकर अपनी वृत्तियों को देख । भीतर स्थित होकर मन के वास्तविक स्वरूप को जान, मन के यथार्थ-स्वरूप को जान लेने पर या आन्तरिक वृत्तियों पर विजय पा लेने पर तू समस्त दुःखों से मुक्त हो जाएगा । इस सन्दर्भ में स्वयं सूत्रकार का कथन है कि साधक (श्रुत एवं चारित्र) धर्मं को अपना कर इसी जीवन में आत्म-साक्षात्कार कर लेता है ।
पूर्णतावादी ब्रेडले ने मनुष्य बनने के लिए सामाजिक नैतिकता को आवश्यक माना है, किन्तु सामाजिक नैतिकता ही नैतिक जीवन का अन्तिम आदर्श नहीं है, अपितु उसके अनुसार इससे भी ऊपर उठकर एक निर्द्वन्द्व, असीम या निरपेक्ष सत्ता का स्तर है और उसे प्राप्त कर लेना ही आत्म साक्षात्कार की स्थिति है और यही उसकी आदर्श - नैतिकता है । आचारांग में भी सामाजिक नैतिकता या सापेक्ष नैतिकता की विवेचना
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