SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 30
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भूमिका १० | नागोरी तपागच्छीय | टीका हर्षकीर्ति अज्ञात कर्तृक । अवचूरि ११ । वि० सं० १६५० ।। ई० १५९४ ई० १५९४ से कुछ | प्रति की लिपि सं० १६५० साल पूर्व ई० १५९४ ई० १६वीं शताब्दी | अकबरकालीन का अन्त अज्ञात कर्तृक तपागच्छीय उ० भानुचन्द्र शिष्य सिद्धिचन्द्र | वृत्ति | वृत्ति वृत्ति खरतरगच्छीय समयसुन्दर ई० १६वीं शताब्दी | अकबरकालीन का अन्त बालवृत्ति अकबरकालीन तपागच्छीय सोमकुशल विनेय कनककुशल सं० १६५२ / ई० १५९६ वृत्ति तपागच्छीय शान्तिचन्द्रशिष्य रत्नचन्द्र ई० १६१७ से कुछ | सं० १६७३ में प्रद्युम्नचरित में उल्लिखित तपागच्छीय लाभविजय-शिष्य धर्मदास मुनि वृत्ति अवचूरि सं० १६२७ / ई० १५७० ई० १६९४ से कुछ लिपि सं० १७५० साल पहले ई० १७०४ से कुछ | विजयप्रभसूरि के अनुरोध से साल पूर्व | कर्ता ने बनाई। अवचूरि | अज्ञातकालीन शायद १५वीं शताब्दी । (धनदेव, सिंहदेव, जैसे देवान्त | नाम इसी समय में मिलते हैं। ९ तपागच्छीय उपाध्याय मेघविजय क्षेमदेव वृत्ति Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002107
Book TitleMantungacharya aur unke Stotra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorM A Dhaky, Jitendra B Shah
PublisherShardaben Chimanbhai Educational Research Centre
Publication Year1999
Total Pages154
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy