________________
मानतुंगाचार्य और उनके स्तोत्र
(तालिका क्रमांक २) क्रमांक कर्ता रचना | रचनाकाल
टिप्पणी खंडेलगच्छीय | भक्तामरवृत्ति | | प्राय: ई० १४वीं | उपलब्ध प्रति की प्रतिलिपि शान्तिसूरि
शताब्दी पूर्वार्ध या | ई० १४वीं शताब्दीउत्तरार्ध । १३वीं शताब्दी क्रमांक २७८वां, (खंभात) उत्तरार्ध
शान्तिनाथ ग्रन्थ भण्डार,
(अप्रकाशित) । रुद्रपल्लीय अभिनववृत्ति | सं० १४२६ /
गुणाकरसूरि या विवृति | ई० १३७० ३ रामचन्द्रसूरि पर्याय या सं० १४७२/ संवत् १४९० में विक्रमचरित लघुवृत्ति | ई० १४०५ कथा तथापंचदंडातपत्रप्रबन्ध के
कर्ता पौर्णिमिक रामचन्द्र यही है ?
४
अज्ञात कर्तृक |विषमपद अवचूरि सं० १४८२ / यह गुणाकर की वृत्ति पर
ई० १४२५ आधारित है । खरतरगच्छीय वार्तिक एवं वृत्ति| ई० १४५९ से कुछ मेरुसुन्दरउपाध्याय
साल पूर्व अज्ञात कर्तृक | अवचूरि | ई० १४६२ से कुछ
साल पूर्व चैत्रगच्छीय
वृत्ति सं० १५२४ / गुणाकरसूरि
ई० १४६८ अज्ञात कर्तृक । अवचूरि । | ई० १५७२ से कुछ लिपि का संवत् १६२८
साल पूर्व अज्ञातगच्छीय | सुखबोधपंजिका ई० १५८४ से कुछ लिपि वि० सं० १६४० से पूर्व अमरप्रभ मुनि | या सुखबोधिका| समय पूर्व वाचनाचार्य (उपाध्याय) देव
सुन्दर के अनुरोध से बनाई गई।
९
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org