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विरक्ति के अपूर्व दृश्य भी देखने को मिलेंगे । इसी प्रकार इसमें जन्मांतर की कथाओं के दृश्य भी वर्णित हैं । वैभवशाली बड़े-बड़े राजा-महाराजा भी सामान्य से सामान्य निमित्त पाकर किस प्रकार संसार से विरक्त होकर आत्म हितार्थ कठिन से कठिन तपस्या करने में प्रवृत्त हो जाते हैं, ऐसी अद्भुत घटनाएं भी पंप रामायण में प्रचुर परिमाण में मिलती हैं ।
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यहाँ पर वाल्मीकीय रामायण एवं पंपरामायण में पाये जानेवाले कुछ प्रमुख भेदों का भी उल्लेख कर देना आवश्यक है। पंपरामायण में राम की माता अपराजिता और शत्रु की माता सुप्रभा बताई गई हैं। सुमित्रा के लक्ष्मण एकमात्र पुत्र थे । जैनपुराण के अनुसार राम विष्णु का अवतार नहीं हैं, अपितु बलदेव हैं और लक्ष्मण शेष के अवतार नहीं हैं, अपितु वासुदेव हैं । इसी प्रकार रावण प्रतिवासुदेव है । राम धर्मनायक, लक्ष्मण वीरनायक और रावण प्रति वासुदेव है । रावण का वध राम नहीं अपितु लक्ष्मण करते हैं । सीता भूमिजा नहीं, बल्कि जनक की पुत्री हैं। सीता को प्रभामंडल नामक भाई भी था । इसमें विश्वामित्र, परशुराम और मन्थरा की चर्चा ही नहीं है । सुग्रीव, बालि आदि बन्दर नहीं अपितु वानरवंशीय विद्याधर थे । इनके ध्वजों पर कपि का चिह्न होता था । रावण से इनका सम्बन्ध भी था । वरुण के युद्ध में हनुमान ने रावण की सहायता की थी । यहाँ पर राम के द्वारा बालि के वध का उल्लेख ही नहीं है । इसी प्रकार पंप- रामायण में सेतुबंध का उल्लेख नहीं है । कपिध्वज विद्याधरी आकाशगामिनी विद्या के बल से समुद्र पार करते हैं । पंपरामायण के अनुसार राक्षस और वानर दोनों ही विद्याधरवंश के थे । हनुमान रावण की बहन के जामतृ थे । रावण के दुराचार से रुष्ट होकर ही हनुमान और विभीषण राम के साथ आकर मिल गये । रावण राक्षस नहीं था, किन्तु राक्षसवंश का था । उसके दश मस्तक भी नहीं थे। शंबुक रुद्र न होकर, रावण की बहन चन्द्रनखा का लड़का था । 'सूर्यहास' खड्ग के लिए तपस्या करते हुए उसे लक्ष्मण ने भ्रान्तिवश मारा था जो रावण द्वारा सीतापहरण का एकमात्र कारण बन गया । राम का वर्ण गौर और लक्ष्मण का श्याम था और लक्ष्मण ने ही रावण को मारा था, राम ने नहीं । राम उसी भव में मोक्ष गये हैं । १
१. विशेष के लिए 'जैन सन्देश' शोधांक १२ में प्रकाशित 'जैन रामायण के विविध रूप' शीर्षक मेरा लेख देखें |
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