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पंपयुग रामायण की रचना की गयी थी। पहले ग्रंथ का ग्रंथप्रमाण गद्य-पद्य मिलाकर २०३१ हैं जबकि दूसरे ग्रन्थ में केवल २३४३ पद्य हैं। दोनों का बंध बहुत ही ललित एवं मनोहर है। दोनों ग्रंथों के आश्वासों के अन्त में निम्न गद्यांश लिखा हुआ मिलता है, "इदु (यह) परमजिनसमयकुमुदनीशरच्चन्द्रबालचन्द्र मुनीन्द्रचरणनखकिरणचन्द्रिकाचकोरं भारतीकर्णपूरं श्रीमदभिनव-पविरचितमप्पः । __मल्लिनाथपुराण की कथा छोटी है। केवल रसपुष्टि एवं अनुषांगिक वर्णनों के कारण ग्रन्थ का प्रमाण बढ़ गया है । यद्यपि इसमें कल्पनास्वातन्त्र्य के लिए पर्याप्त गुमाइश थी। मल्लिनाथ की अपेक्षा पंपरामायण बड़ी है। इसमें पात्रों का चरित्रचित्रण बहुत ही सुन्दर ढंग से हुआ है । ग्रंथ में लौकिक अनुभव का पुट भी यथेष्ट रूप में मिलता है। नागचन्द्र ने मल्लिनाथपुराण के एक-दो ही नहीं, बल्कि अनेकों महत्त्वपूर्ण सुन्दर पद्यों को पंपरामायण में ले लिया है। कवि आगम, अध्यात्म, अर्थशास्त्र, साहित्य आदि सभी विषयों में निष्णात थे। इसके गुरु मुनि बालचन्द्र भी सकलगुणसम्पन्न उच्चकोटि के विद्वानों में से थे। इसलिए शिष्य नागचन्द्र का तदनुरूप होना सर्वथा स्वाभाविक है । शांतरस कवि को अधिक प्रिय था। इसीलिए इसकी दोनों कृतियां शांतरसप्रधान हैं। इसमें निःश्रेयस पदप्राप्ति की लालसा के साथ-साथ गुरु का प्रभाव भी मुख्य हेतु हो सकता है । अपने श्रद्धय गुरु पर नागचन्द्र की असीम भक्ति थी। इसमें संदेह नहीं है कि कवि के तन, मन और धन ये तीनों ही जिनेन्द्रदेव की सेवा के लिए ही अर्पित थे । इसीलिए जिनार्चना और जिनगुणवर्णन के साथ-साथ इसने विजयपुर में मल्लिनाथ-जिनालय का निर्माण कराकर अपने वैभव को मफल बनाया था। परमजिनभक्त, आचार्यपादपद्मोपजीवी नागचन्द्र अपने काब्य एवं सदाचरण के लिए अमर रहेंगे ।
बेन्द्रे जी का अनुमान है कि महाकवि होने के पूर्व नागचन्द्र को शिलालेखों के कवि का सौभाग्य भी प्राप्त था क्योंकि विजयपुर के शिलालेख में ही नहीं अपितु श्रवणबेळगोळ के कई शिलालेखों में इनके बहुत से पद्य विद्यमान हैं । इसमें किंचित भी संदेह नहीं है कि जैन कवियों ने ही मुख्यतः शांतरस को अपनाया है। काव्याध्ययन का उद्देश्य रागद्वेषों का प्रचोदन नहीं है, प्रत्युत अनंत सुख की आधारभूत दर्शन विशुद्धि की प्राप्ति है । एक धर्मनिष्ठ व्यक्ति कवियों से चक्रवर्ती के असीम वैभव या देवेन्द्र के स्वर्गीय सुख के वर्णन नहीं सुनना चाहता है, क्योंकि ये सब नश्वर हैं । वह चाहता है अक्षय सुख को पाने का सुगम एवं निष्कंटक उपाय बतलाने वाले महापुरुषों की सफल जीवनी जो
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