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मराठी जैन साहित्य का इतिहास के रूप में प्रकाशित पार्श्वनाथचरित्र तथा महावीरचरित्र एवं षोडशकारणभावना आदि उपदेशप्रद निबन्धसंग्रह सेठजी की अन्य पुस्तकें हैं। चवडे बन्धु
पुराने मराठी जैन साहित्य के प्रकाशक के रूप में श्री जिनदास नारायण चवडे, वर्धा, का कई बार उल्लेख कर चुके हैं। इनके दो बन्धु नेमचन्द चवडे और गणपतराव चवडे ने आधुनिक मराठी में अच्छी रचनाएँ लिस्त्री हैं । जैन धर्मामृतसार, जैन व्रतकथा संग्रह तथा संगीत निर्वाणक्षेत्रपूजा ये तीन रचनाएँ सन् १८९४ में नेमचन्द चवडे ने लिखी और प्रकाशित की। 'संगीत सुशील मनोरमा' नाटक सन् १९०२ में प्रकाशित हुआ। जैन भजनामृत -संगीत पद (१९१०), संगीत जैन कीर्तनावली (१९१८) तथा सीताशील माहात्म्य व लवांकुश चरित्र (१९२५) ये इनकी अन्य कृतियां हैं। गणपतराव चवडे ने संगीत गर्वपरिहार नाटक (१९०७) तथा हनुमानचरित्र (१९१२) ये “पुस्तकें लिखी हैं। इन्होंने जैनबन्धु मासिक पत्र (प्रारम्भ सन् १९०८) भी कुछ वर्ष सम्पादित किया था। कृष्णाजी नारायण जोशी
बेलगांव के इस विद्वान् द्वारा सन् १८९७-९८ में अमृतचन्द्राचार्यकृत 'पुरुषार्थसिद्धयुपाय, नेमिचन्द्राचार्यकृत द्रव्यसंग्रह, हरिचन्द्रकृत धर्मशर्माभ्युदय महाकाव्य ( प्रथम तीन सर्ग ), भट्टारक सकलकीति सुभाषितावली, मल्लिषेणाचार्यकृत सज्जनचित्तवल्लभ तथा समन्तभद्राचार्यकृत जिनचतुर्विंशति ( स्वयम्भू ) स्तोत्र इन छह ग्रन्थों का मराठी में अनुवाद हुआ था। बालचन्द कस्तूरचन्द गान्धी, धाराशिव ने ये पुस्तकें प्रकाशित की थीं। नाना रामचन्द्र नाग
फलटण के इस ब्राह्मण विद्वान् ने ब्रह्मचारी हिराचन्द अमोलिक के उपदेश से जैनधर्म स्वीकार किया था। सन् १८९५ में इन्होंने हिराचन्द विरचित पदों का एक संग्रह प्रकाशित किया, इसमें लगभग १०० पद हिन्दी के
१.हिराचन्द अमोलिक ( १८३९-१८९२) ने नलचरित्र, पंचपूजा तथा जैन रामायण ये पुस्तकें भी लिखी थीं ऐसा वर्णन मिलता है किन्तु ये “पुस्तकें हमारे अवलोकन में नहीं आ सकीं।
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