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________________ वर्तमानकालीन मराठी जैन साहित्यकार एवं उनकी रचनाएँ सेठ हिराचंद नेमचंद दोशी (१८५६-१९३६) - मराठी साहित्य-रचना का प्रारम्भ गुजराती विद्वानों द्वारा हुआ, यह ऊपर बता चुके हैं। आधुनिक मराठी साहित्य के प्रमुख उन्नायक भी गुजरात से महाराष्ट्र में आकर स्थायी रूप में बसने वाले हुमड-गुजर जाति के श्रावक थे। इनमें सोलापुर के दोशी परिवार का स्थान प्रमुख है। संपत्ति और विद्या का दुर्लभ संगम इस परिवार में दीर्घकाल बना रहा और इसके फलस्वरूप मराठी जैन साहित्य की काफी वृद्धि हुई। सेठ हिराचंद नेमचंद इस परिवार के प्रमुख थे।' सन् १८८४ में इन्होंने जैनबोधक मासिक पत्र का प्रकाशन प्रारम्भ किया। मराठी जैन समाज को जागृत करने में इस पत्र का योगदान महत्त्वपूर्ण रहा । समाज के समाचार, पुराने तीर्थों और ग्रन्थों का परिचय, रूढ़ियों में आवश्यक सुधार की प्रेरणा आदि विषयों पर विस्तृत लेख इस मासिक पत्र में प्रकाशित हुए। सेठजी ने तेरह वर्ष तक इसका सम्पादन और प्रकाशन किया। सन् १९०१ में सोलापुर के यूनियन क्लब में सेठजी ने जैनधर्म के मूलतत्त्वों पर भाषण दिया था, जो 'जैनधर्माची माहिती' नामक पुस्तक में प्रकाशित हुआ है । सन् १९२३ से १९२८ तक सम्यक्त्ववर्धक नामक पत्रिका का प्रकाशन सेठजी ने किया। सामाजिक रूढ़ियों में सुधार की प्रेरणा देना इस पत्रिका का प्रमुख उद्देश्य था। इसी दृष्टि से शासनदेवतापूजनचर्चा, अशोचनिर्णयचर्चा, निर्माल्यद्रव्यचर्चा, नवधाभक्तिचर्चा ये पुस्तकें भी इन्होंने सम्पादित और प्रकाशित की। समन्तभद्राचार्य के रत्नकरंडश्रावकाचार का मराठी और हिन्दी अनुवाद सहित पाकेटबुक जैसा संस्करण, अमृतचन्द्राचार्य के तत्त्वार्थसार के चतुर्थ अध्याय पर आधारित 'पापपुण्याची कारणे', सरल कथाओं .. . 4. दीनानाथ बापूजी मंगुडकर द्वारा लिखित विस्तृत जीवनचरित में सेठजी और उनके परिवार के कार्यों का परिचय मिलता है। यह पुस्तक सेठजी के सुपुत्र रतनचन्द हिराचंद ने सन् १९६७ में प्रकाशित की है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002100
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 7
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmbalal P Shah
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1981
Total Pages284
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size11 MB
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