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________________ २११ प्रारंभिक एवं मध्ययुगीन मराठी जैन साहित्य "रोचक कथा इसमें वर्णित है। कामराज की दूसरी रचना चैतन्यफाग में १४ पद्य हैं। इस गीत में शरीररूपी पिंजड़े में बन्दी चैतन्यरूपी राघो ( तोता). को मुक्ति का मार्ग दिखाया गया है। इनकी तीसरी रचना धर्मफाग है।' इसमें १३ पद्यों में धर्म से प्राप्त होने वाले सुखों का वर्णन है। सूरिजन ये भी ब्रह्मशान्तिदास के शिष्य थे। इनकी एकमात्र उपलब्ध रचना परमहंस कथा है। यह गद्य-पद्यमय मिश्र रचना है तथा लगभग एक हजार श्लोकों जितना इसका विस्तार है। यह रूपक कथा, है-परमहंस (आत्मा) राजा, चेतना रानी, राजपुत्र मन, सौतेली मां माया, शत्रु मोह ऐसे रूपकों द्वारा आत्मा की मुक्ति-प्राप्ति की कथा इसमें वर्णित है। सूरिजन ने अन्तिम प्रशस्ति में समकालीन भट्टारक ज्ञानभूषण' का भी उल्लेख किया है। नागो आया __ ये कारंजा के भट्टारक माणिकसेन के शिष्य थे । इनका समय सन् १५४० के आसपास का है। इनकी एकमात्र उपलब्ध रचना यशोधरचरित्र में ५ अध्याय और २९२ ओवी हैं। वादिराज के संस्कृत ग्रन्थ के आधार पर यह काव्य लिखा गया है। इसकी रचना वैराट देश के कोट नगर (संभवतः वर्तमान आकोट, जि० अकोला ) के आदिनाथ मन्दिर में हुई थी। गुणनन्दि ये कारंजा के भट्टारक धर्मभूषण के शिष्य थे। इससे इनका समय सन् १. सन्मति, नवम्बर १९५९ में प्रकाशित, सं० वि० जोहरापुरकर । २. स्वाध्याय त्रैमासिक, अगस्त १९६५ में श्री अगरचंद नाहटा द्वारा लिखित कामराजु रचित मराठी फागुकाव्य शीर्षक लेख में चैतन्यफाग और धर्मफाग छपे हैं। ३. प्र. जीवराज ग्रन्थमाला, शोलापुर, १९६०, सं. सुभाषचंद्र अक्कोळे । ४. ज्ञानभूषण की प्रशंसा सहित मराठी में लिखित एक आरती हमारे संग्रह में है। इसमें ४ कडवक हैं, किन्तु लेखक के नाम का पता नहीं चलता। ५. मेघराज कृत जसोधररास के परिशिष्ट में प्रकाशित (जीवराज -ग्रन्थमाला, शोलापुर, १९५९), सं. वि. जोहरापुरकर । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002100
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 7
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmbalal P Shah
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1981
Total Pages284
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size11 MB
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