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________________ २१० मराठी जैन साहित्य का इतिहास मेघराज ये ब्रह्मजिनदास के शिष्य ब्रह्मशान्तिदास के शिष्य थे। इससे इनका समय सोलहवीं सदी का प्रथम चरण निश्चित होता है। मराठी में इनकी छह कृतियाँ उपलब्ध हैं। इनमें सबसे बड़ी कृति जसोधररास में ५ अध्याय और ११६४ ओवी हैं। यौधेय देश के राजा यशोधर की कथा पर कई जैन कवियों ने काव्य लिखे हैं। मेघराज ने इस परम्परागत कथा का सरस वर्णन किया है। पत्नी के दुराचार से उद्विग्न राजा यशोधर माता के आग्रह से पशुबलि का संकल्प करता है और इस पाप के फलस्वरूप कई जन्मों तक पशुगति के दुःख सहता है, अन्त में जिनधर्म का उपदेश प्राप्त करने पर उसका उद्धार होता है। कथा रोचक ढंग से वर्णित है। मेघराज की अन्य रचनाओं का परिचय इस प्रकार है२-पार्श्वनाथ भवान्तर में ४७ कडवकों में भ० पार्श्वनाथ और माता वामादेवी के संवाद के रूप में उनके पूर्वजन्मों का वर्णन है, रामायणी कथा में राजा दशरथ को उनके चार पुत्र एक-एक कथा बतलाते हैं। कृष्णगीत में ७६ कडवक हैं तथा रुक्मिणी, सत्यभामा और जाम्बवती द्वारा श्रीकृष्ण की कथाओं का वर्णन है, गोम्मटस्वामी गीत में तीन कडवकों में श्रवणबेलगोल के भ० बाहुबली की स्तुति है तथा गुजरी महाटी गीत में गिरनार की यात्रा करनेवाली एक गुजराती और एक मराठी महिला का संवाद है, इसकी एक पंक्ति गुजराती में और दूसरी मराठी में है, इसमें १३ कडवक हैं। मेघराज ने गुजराती में शान्तिनाथ चरित और तीर्थवन्दना ये दो रचनाएँ भी लिखी हैं। कामराज ये भी ब्रह्मशान्तिदास के शिष्य थे। इनकी मुख्य रचना सुदर्शनचरित्र' में १४ अध्याय और लगभग एक हजार ओवी हैं। ब्रह्मचर्य अणुव्रत के पालन के लिए राजा की पटरानी की प्रणय-प्रार्थना ठुकराने वाले सुदर्शन श्रेष्टी की १. प्र. जीवराज ग्रन्थमाला, शोलापुर, १९५९, सं० सुभाषचन्द्र अक्कोळे । २. प्रा० म०, पृष्ठ ३०-३२। ३. जिनदास चवडे, वर्धा तथा जयचंद्र श्रावणे, वर्धा ने इसके दो संस्करण प्रकाशित किये थे ( वर्ष मालूम नहीं हो सका ), किन्तु दोनों ने ग्रन्थ का लगभग आधा भाग छोड़कर संक्षिप्त संस्करण निकाले थे। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002100
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 7
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmbalal P Shah
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1981
Total Pages284
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size11 MB
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