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________________ प्रारंभिक एवं मध्ययुगीन मराठी जैन साहित्यकार २०९ नेमिनाथ के झूले में झूलने का वर्णन है; नेमिनाथ-विवाह में ४४ कडवक हैं, इसमें श्रीकृष्ण द्वारा नेमिनाथ के विवाहसम्बन्ध का निश्चय और विवाह के अवसर पर मारे जाने वाले पशुओं का करुण क्रन्दन सुनकर नेमिनाथ का विरक्त होना वणित है; नेमिनाथ-जिनदीक्षा में ४५ कडवकों में नेमिनाथ की तपस्या और मुक्ति का वर्णन है, रुक्मिणीहरण में ६४ कडवकों में श्रीकृष्ण द्वारा रुक्मिणी के हरण की मनोरंजक कथा का वर्णन है, इसकी प्रशस्ति में कवि ने अपना जन्म जैसवाल जाति में हुआ ऐसा बताया है,२ रामचन्द्र फाग में ३१ कडवकों में राम के वसन्त-उत्सव का वर्णन है तथा धन्दा गोत में ६ पद्यों में इहलोक का धन्धा छोड़कर परलोक का धन्धा करने का उपदेश है। विवेकविलास, नेमीश्वर-राजमती-फाग तथा सीतादिव्यगीत ये गुण कीर्ति की गुजराती रचनाएँ भी उपलब्ध हैं। उनके चौपदी नाम के पद भी मिले हैं जिनकी भाषा में गुजराती और मराठी का मिश्रण पाया जाता है । जिनदास ये भट्टारक भुवनकीर्ति के शिष्य उज्जतकीति के शिष्य थे। अतः इनका समय पन्द्रहवीं सदी का अन्तिम चरण निश्चित होता है। इनका जन्म देवगिरि (दौलताबाद ) में हुआ था। वहीं इन्होंने छंद, व्याकरण, तर्क आदि का अध्ययन किया। इनकी एकमात्र कृति हरिवंशपुराण' है जिसमें भ० नेमिनाथ तथा श्रीकृष्ण सम्बन्धी जैन परम्परा की कथाएँ विस्तार से वर्णित हैं। जिनदास ने इस पुराण के ५५ अध्याय लिखे थे। दो सौ वर्ष बाद पुण्यसागर ने १२ अध्याय और जोड़कर यह रचना पूर्ण की। पूरे ग्रन्थ की ओवी संख्या ११००० है। जिनदास की रचना में पाण्डित्य और कवित्व दोनों का दर्शन होता है। १. धर्मामृत के परिशिष्ट में हमने ये तीन गीत प्रकाशित किये हैं। २-३. ये दो गीत सन्मति में सन् १९६५ में धारावाहिक रूप से प्रका• शित हुए हैं, सं० सुभाषचंद्र अक्कोळे । ४. प्रा० म०, पृष्ठ २४ । ५. इनकी हस्तलिखित प्रतियां हमारे संग्रह में हैं। ६. प्र. जिनदास चवडे, वर्धा, १९०७ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002100
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 7
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmbalal P Shah
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1981
Total Pages284
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size11 MB
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