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मराठी जैन साहित्य का इतिहास
के रूप में हैं । सरल कथाओं की ३० पुस्तकें हैं । प्राय: इतनी ही पुस्तकें काव्य संग्रहात्मक हैं | श्रावकों की नित्य नैमित्तिक विधियों का वर्णन दस पुस्तकों में है तथा इतनी ही पुस्तकें पूजापाठ की हैं । इतिहास और तीर्थ वर्णनात्मक विषयों पर ३० पुस्तकें हैं तथा सरल रूप में धर्म तत्त्वों का वर्णन लगभग दस पुस्तकों में प्राप्त होता है । सामयिक प्रश्नों का विचार २० पुस्तकों में है । प्राचीन मराठी साहित्य की लगभग ३० पुस्तकें भी छपी हैं ।
पुराने साहित्य के आधे लेखक साधुवर्ग के थे, जबकि आधुनिक साहित्यिकों में साधुओं की संख्या नगण्य है । पुराने साहित्य की रचना पूर्व महाराष्ट्र (विदर्भ) तथा मध्य महाराष्ट्र ( मराठवाडा) में ही अधिक हुई थी जबकि आधुनिक साहित्य की रचना अधिकतर दक्षिण महाराष्ट्र में हुई है ।
अब हम लेखकों का समयक्रम से वर्णन करेंगे ।
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