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________________ २ . ४ मराठी जैन साहित्य का इतिहास मराठी जैन साहित्य का वर्गीकरण उपलब्ध मराठी जैन साहित्य का वर्गीकरण चार विभागों में किया जा सकता है। प्रथम वर्ग में सन् १४५० से १५५० तक के पांच-छ: कवि आते हैं । ये गुजराती पंडितों के शिष्य थे तथा इनकी रचनाओं के लिए गुजराती ग्रन्थ आधारभूत थे। दूसरे वर्ग में सन् १५५० से १८५० तक के लगभग ५० कवि आते हैं। कारंजा, लातूर और औरंगाबाद के भट्टारकों तथा उनके शिष्यों का इनमें प्रमुख स्थान है। इनकी रचनाएँ गुजराती, संस्कृत और क्वचित कन्नड ग्रन्थों पर आधारित हैं। तीसरे वर्ग में कोल्हापुर के भट्टारक और उनके शिष्य आते हैं। इन्होंने संस्कृत और कन्नड ग्रन्थों का आधार लेकर १९वीं शताब्दी के पूर्वाधं में साहित्य-रचना की है। चौथा वर्ग आधुनिक-सन् १८५० के बाद के लेखकों का है। संस्कृत, प्राकृत, कन्नड व हिन्दी साहित्य के अनुवाद के अतिरिक्त आधुनिक लेखकों ने कथा, कविता, नाटक, निबन्ध, इतिहास आदि विविध विषयों पर विपुल लेखन किया है। मुद्रित मराठी जैन पुस्तकों की संख्या लगभग ४०० है। इसके अतिरिक्त समय-समय ‘पर प्रकाशित चौदह पत्रिकाओं में भी काफी उपयोगी साहित्य का प्रकाशन हुआ है। प्रस्तुत विवेचन के अध्याय २ में हम पुराने मराठी जैन साहित्य के तीन वर्गों के सभी लेखकों का समयक्रम से संक्षिप्त परिचय दे रहे हैं तथा अध्याय ३ में चौथे वर्ग के आधुनिक लेखकों में से कुछ प्रमुख व्यक्तियों को कृतियों का परिचय दे रहे हैं। प्रारम्भिक एवं मध्ययुगीन मराठी जैन साहित्य इसमें सन् १४५० से १८५० तक के चार सौ वर्षों में हुए ६२ कवियों की लगभग २०० छोटी-बड़ी रचनाओं का उल्लेख किया गया है। इनमें पद्मपुराण, हरिवंशपुराण तथा कालिकापुराण ये ३ बड़े पुराण हैं। २० काव्यों में श्रेणिक, यशोधर, जम्बूस्वामी, सुदर्शन, भविष्यदत्त आदि की कथाए हैं। सम्यक्त्वकौमुदी, धर्मपरीक्षा, पुण्यासव, आराधनाकथाकोश आदि ७ ग्रन्थ कथा संग्रहात्मक हैं। अनन्त, आदित्य, सुगन्धदशमी आदि व्रतों की २६ कथाएं हैं । आदिनाथ, नेमिनाथ, पार्श्वनाथ आदि की कथाओं पर आधारित गीतों की संख्या ३० है तथा विभिन्न उपदेशात्मक गीतों की संख्या भी ३० है तथा उपदेशात्मक पदों में कवीन्द्रसेवक के ५४५ तथा महतिसागर के २०० अभंग व पद उल्लेखनीय हैं। समकालीन धर्माचार्यों का प्रशंसात्मक वर्णन १२ गीतों में Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002100
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 7
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmbalal P Shah
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1981
Total Pages284
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size11 MB
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