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________________ प्रास्ताविक मराठी जैन साहित्य का अध्ययन वर्तमान शताब्दी के प्रथम चरण में लगभग २० पुरानी मराठी जैन रचनाएँ मुद्रित हुई थीं, किन्तु मराठी साहित्य के इतिहासकारों का ध्यान इनकी ओर आकृष्ट नहीं हुआ। प्रसिद्ध इतिहास ग्रन्थ महाराष्ट्र सारस्वत (१९२४) में श्री विनायकराव भावे ने 'मराठी में जैन मत का विस्तृत अनुवाद हुआ होगा' ऐसी संभावना प्रकट की है ( चतुर्थ संस्करण पृष्ठ २३२ ), किन्तु कामराजकृत सुदर्शनचरित्र के नाममात्र उल्लेख ( पृष्ठ ५८ ) के अतिरिक्त अन्य कुछ भी विवरण उन्हें प्राप्त नहीं हुआ था। बम्बई के मासिक विविधज्ञानविस्तार ( मई १९२४ ) में श्री शेषराव पारिसवाड ने तंजौर के तीन हस्तलिखित ग्रंथों-गुणदासकृत श्वेणिकचरित्र, महीचन्द्रकृत आदिपुराण तथा देवेन्द्रकीर्तिकृत कालिकापुराण का परिचय दिया, किन्तु उन्हें यह ज्ञात नहीं था कि आदिपुराण और कालिकापुराण छप चुके हैं। आदिपुराण के कर्ता का नाम उन्होंने ब्रह्मजिनदास समझ लिया था। सन् १९४६ में टीकमगढ़ से प्रकाशित प्रेमी अभिनन्दन ग्रन्थ में श्री रावजी नेमचन्द शहा ने अपने एक लेख में मराठी जैन साहित्य का विवरण दिया है। इसमें पुराने साहित्यिकों में केवल कवीन्द्रसेवक और महतिसागर का उल्लेख मात्र है, शेष सब विवरण आधुनिक मराठी लेखकों के विषय में है। पुराने मराठी जैन साहित्य का प्रथम विस्तृत विवरण हमने सन्मति मासिक (बाहुबली, जि. कोल्हापुर, नवम्बर १९५५ ) तथा महाराष्ट्र साहित्य पत्रिका त्रैमासिक,. पूना ( जनवरी-फरवरी-मार्च १९५६ ) में प्रकाशित दो लेखों में दिया था। इनमें १२ कवियों का विवरण था। अगले कुछ वर्षों में प्रकाशित पुस्तकों और लेखों से ज्ञात कवियों की संख्या २० हो गई। सन् १९६१ में कलकत्ता से प्रकाशित भिक्षु स्मृति ग्रन्थ में प्रा० शांतिकुमार किल्लेदार ने अपने लेख में ३२ कवियों का विवरण दिया है । तदनंतर प्रा० सुभाषचन्द्र अक्कोले ने इसी विषय पर पी-एच. डी. उपाधि के लिए प्रबन्ध लिखा जो पूना विश्वविद्यालय द्वारा सन् १९६४ में स्वीकृत हुआ तथा सुविचार प्रकाशन मंडल, नागपुर-पूना द्वारा सन् १९६८ में प्रकाशित हुआ। इसमें ५४ कवियों की रचनाओं का विवेचन हुआ है। प्रस्तुत प्रकरण में हमने उक्त प्रबन्ध के प्रकाशन के बाद ज्ञात हुए आठ कवियों का परिचय भी शामिल किया है तथा पूर्वज्ञात कवियों की कुछ नई रचनाओं का परिचय भी दिया है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002100
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 7
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmbalal P Shah
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1981
Total Pages284
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size11 MB
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