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________________ २०२ मराठी जैन साहित्य का इतिहास आठवीं शताब्दी में अपभ्रंश से पृथक् मराठी का स्वतन्त्र विकास होने लगा था। इसका संकेत जैन ग्रंथ कुवलयमाला (सन् ७७८) में मिलता है।' प्राचीनतम मराठी शिलालेखों में एक महत्त्वपूर्ण शिलालेख श्रवणबेलगोल में दसवीं शताब्दी में निर्मित गोम्मटेश्वर महामूर्ति के चरणों के पास है। कर्णाटक के महाकवि पम्प के विक्रमार्जुन-विजय (सन् ९३२) तथा जन्न के अनन्तनाथपुराण (सन् १२१०) में कुछ मराठी वाक्यों का प्रयोग मिलता है एवं गुजरात के महाकवि यशश्चन्द्र के राजीमतीप्रबोध (सन् ११२८) तथा नयचन्द्र की रम्भामंजरी (चौदहवीं शताब्दी) में भी कुछ मराठी पंक्तियां हैं। दसवीं शताब्दी के श्रीपति की ज्योतिषरत्नमाला अथवा बारहवीं शताब्दी के मुकुन्दराज का विवेकसिन्धु मराठी साहित्य का आद्यग्रन्थ माना जाता है । तेरहवीं शताब्दी में ज्ञानेश्वर और चक्रधर द्वारा तथा चौदहवीं शताब्दी में इनके शिष्यों द्वारा मराठी में विपुल साहित्य-रचना हुई। दुर्भाग्य से इन पांच शताब्दियों में किसी जैन लेखक द्वारा मराठी में लिखा हुआ कोई ग्रन्थ अब तक उपलब्ध नहीं हुआ है। इस अवधि के कई जैन शिलालेख कोल्हापुर अक्कलकोट, अंजनेरी, पातूर, वजीरखेड आदि स्थानों में मिले हैं, किन्तु वे संस्कृत या कन्नड में हैं ।" मराठी जैन साहित्य पन्द्रहवीं सदी से उपलब्ध होता है। इसके पूर्व के ग्रन्थ या तो अभी प्रकाश में नहीं आ पाये हैं या लिखे ही नहीं गये थे। १. कुवलयमाला (सिंघी ग्रन्थमाला, बम्बई, १९५९) पृष्ठ १५२, यहाँ अठारह देशी भाषाओं का उपयोग करनेवाले व्यापारियों का एक-एक गाथा में वर्णन है, जिसमें एक मरहट्ट भी है। २. जैन शिलालेख संग्रह, भाग १ ( माणिकचन्द्र ग्रन्थमाला, बम्बई, १९२८) पृष्ठ १५७। ३. प्राचीन मराठी जैन साहित्य (सुविचार प्रकाशन मंडल, नागपुर, पूना, १९६८) पृष्ठ १०। (आगे इस अन्य के सन्दर्भ प्रा० म० इस संकेत से सूचित ४. जैन शिलालेख संग्रह, भाग २ (माणिकचन्द्र ग्रन्थमाला, बम्बई, १९५२) पृष्ठ ८५, ४८२, भाग ३ (१९५७) पृष्ठ ३९, ५३, ३३५; भाग ४ (भारतीय ज्ञानपीठ, वाराणसी, १९६५) पृष्ठ ८६, ११३, १३५, १६२, १६६, २०९ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002100
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 7
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmbalal P Shah
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1981
Total Pages284
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size11 MB
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