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________________ गद्यग्रंथ १८९ में लिखा गया होगा, अर्थात् आठवीं शताब्दी के उत्तर भाग में ९५०० शब्दों की व्याख्या और पर्यायवाची शब्द इसमें हैं। बहु-अर्थबोधक शब्दों की संख्या लगभग ३८४ है। दूसरा निघंटु ग्रन्थ : पिंगलन्दै ____ 'दिवाकरम्' के बाद पिंगलन्दै निघंटु का स्थान है। पिंगलर् इसके प्रणेता हैं । विद्वानों का मत है कि ये दिवाकर के पुत्र थे। पर प्रश्न यह उठता है कि ये दिवाकर निघंटुकर्ता थे या और कोई। बारहवीं शती के तमिल व्याकरण ग्रंथ 'नन्नूल' में इस ग्रंथ का उल्लेख है। अतः यह स्पष्ट है कि यह बारहवीं शती के पूर्व की रचना है। इसके प्रथम भाग में १४७०० शब्दों की निरूक्ति आदि है और दसर्वे भाग में अनेकार्थवाची शब्द १०९१ हैं। पूर्वोक्त निघंटु 'दिवाकरम्' से भी यह बृहत्काय एवं परिवद्धित ग्रंथ है। तीसरा चूड़ामणि निघंटु यही सम्प्रति बहुप्रचलित एवं अर्वाचीन निघंटु ग्रंथ है। इसको 'निघंटु चूडामणि' भी कहते हैं। इसके रचयिता मण्डलपुरुषर थे जिनकी चर्चा ऊपर हो चुकी है। उन्होंने विजयनगर के प्रशस्त शासक कृष्णदेवराय की खूब प्रशंसा की है। अतः उनके सभा-पंडितों में ये रहे होंगे। इनका समय सोलहवीं शती का अंतिम भाग हो सकता है। इनके आचार्य गुणभद्र थे ( ये नवीं शती के गुणभद्र से भिन्न हैं )। एक शिलालेख से पता चलता है कि ई० १५८३ में गुणभद्रदेव के शिष्य वीरसेनदेव को दान में एक भूमि मिली । अतः इन गुणभद्र को सोलहवीं शती का मानना ही संगत है। इस निघंटु के अन्तिम पद्य में कहा गया है कि ग्रन्थकार मण्डलपुरुषर 'वीरै' नामक स्थान के निवासी थे। इसके प्रारम्भिक प्रशस्ति पद्य में जिसे तमिल में 'शिरप्पु पायिरम्' कहते हैं, कहा गया है कि ये मण्डलपुरुष आचार्य गुणभद्र के शिष्य थे। यह पहले ही कहा जा चुका है कि यही मण्डल पुरुष श्रीपुराणम् के प्रणेता हैं। इलक्कमम् तमिल में 'इलक्कणम्' का अर्थ है लक्षण । वह व्याकरण, छन्द, अलंकार तथा रीतिग्रन्थों का निर्देश करता है। लक्षण या रीति ग्रन्थों के निर्माण द्वारा १. M. A. R, 1931, p. 106.112; E. C. VI, K. p. 21-24. p. 79. - Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002100
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 7
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmbalal P Shah
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1981
Total Pages284
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size11 MB
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