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________________ १२० तमिल जैन साहित्य का इतिहास 1 संस्कृतपुराण काल कहा जा सकता है। ऐसी अनुश्रुति है कि तोलकाप्पियम् द्वितीय संघ कालीन पांड्यनरेश निलन्तरु तिरुविन् पांडियन् की सभा में, पंडितवर अतंकोट्टाशन की अध्यक्षता में तोलकाप्पियम् का प्रथम प्रकाशन हुआ । यह भी कहा जाता है कि तोलकाप्पियर अगस्त्य के शिष्य थे । अगस्त्य की अध्यक्षता में ही द्वितीय संघ स्थापित हुआ और वे तमिल के प्रथम व्याकरणाचार्य माने जाते हैं । किन्तु उनका एक भी पद्य उपलब्ध नहीं है । आज जितने संघकालीन ग्रन्थ मिलते हैं, उनमें से अधिकांश ग्रन्थ अन्तिम संघ के हैं । अन्य कुछ ग्रन्थ पूर्ववर्ती संघ के कहे जाते हैं, पर इस बारे में मतैक्य नहीं है । संघ ग्रंथों पर जैन प्रभाव संघ साहित्य के कई पद्यों में जैन धर्म का प्रभाव स्पष्ट लक्षित होता है । 'यादुम् ऊरे यावरुम् केळिर् ......१ वाले पद्य में समदर्शिता, सार्वजनीन सेवावृत्ति और वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना के साथ कर्म फल की अनिवार्यता का भी वर्णन है । यद्यपि ये वचन अन्य धर्मों में भी मिलते हैं, तथापि उनका विशिष्ट विवेचन जैनधर्म में ही हुआ है । इसके अतिरिक्त, संघकालीन कवियों में कुछ नाम ऐसे मिलते हैं, जिनके जैनी होने की सम्भावना है । उनमें से दो कवियों का पर्याप्त परिचय उपलब्ध है । उलोच्चनार मुनि दीक्षा ग्रहण करते समय, केशलुश्चन करने की जो विशिष्ट क्रिया की जाती है, उसे तमिल में 'उलोच्चु' कहते हैं । केशलोच के अनुष्ठान का वर्णन करने अथवा केशलोच करने के कारण संघ के एक कवि का नाम 'उलोच्चनार' पड़ा । इनके नाम पर तैंतीस पद्य उपलब्ध होते हैं, जो उन्हीं के रचे हुए प्रतीत होते हैं । इन पद्यों में जैन धर्म सम्मत सांसारिक जीवन की कष्ट बहुलता की भांति अन्तर्जीवन की दुखप्रधान दशा का वर्णन है । निगष्टनार् दूसरे संघकालीन कवि का नाम है, निगंटन कलैक्कोट्टुत् तण्डनार । इनका एक पद्य 'नट्रिण' नामक संघकालीन ग्रन्थ में उपलब्ध है । उसमें 'नेय् १. इस संघकालीन पद्य के रचयिता थे कणियन् पंकुन्ड्रनार और इस पंक्ति का अर्थ है, सारा देश हमारा जन्मस्थान है और समस्त देशवासी हमारे बन्धु हैं। . Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002100
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 7
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmbalal P Shah
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1981
Total Pages284
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size11 MB
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