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________________ जैन साहित्य का बृहद् इतिहास संकलन में ग्रन्थकार ने त्रि० श० पु. च० की अपेक्षा उक्त तीर्थकरों पर लिखी स्वतंत्र रचनाओं का विशेष उपयोग किया है, इसलिए इसमें अनेक प्रसंग नये आ गये हैं जोकि त्रि० श० पु० च० में नहीं हैं। इस कृति के छोटी होने पर भी इसमें अनेक बातों का संग्रह आ गया है। तीर्थकरचरित्र, रामायण, महाभारत, चक्रवर्तिचरित्र, बलदेव, वासुदेव, प्रतिवासुदेव और उनके अनेक कथाप्रसंग और ऐतिहासिक प्रसंग इसमें भरपूर हैं। इस कृति के नाम के पीछे दो बातों का अनुमान किया जा सकता है-एक तो यह कि त्रि० श९ पु० च० को सामने रखकर यह कृति बनायी गई हो या उक्त कृति में जो अनेक प्रसंग नहीं हैं उनको शामिल करने पर भी आकार की दृष्टि से लघुत्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित नाम रखा गया हो। यह कृति संक्षेपरुचिवालों के लिए बड़ी उपकारक है । इसका ग्रन्थान ५००० श्लोकप्रमाण है। रचयिता और रचनाकाल-इसके रचयिता मेघविजय उपाध्याय हैं। इनके गृहस्थ जीवन का इतिहास तो कहीं से नहीं मालूम होता पर इनके अनेक ग्रन्थों में जो प्रशस्तियाँ दी गई है उनमें इनने अपना नाम, अपने गुरु कृपाविजय का, और उपाध्याय विजयप्रभसूरि के नाम का उल्लेख किया है। ये प्रसिद्ध सम्राट अकबर के कल्याणमित्र तपागच्छीय हीरविजयसूरिजी की परम्परा में हुए हैं। इनके ग्रन्थों में जो प्रशस्तियाँ दी गई हैं उनमें कुछ का रचनाकाल दिया गया है जो वि० सं० १७०९ से १७६० तक होता है। प्रस्तुत रचना का समय नहीं दिया गया। इस तरह इन्होंने ५० वर्ष तक लगातार साहित्यसेवा की थी। यदि २०-२५ वर्ष की उम्र से साहित्यरचना प्रारंभ की हो तो इनकी आयु ८० वर्ष अनुमान की जा सकती है। इन्होंने अनेक काव्यग्रन्थ रचे हैं व किरातार्जनीय, शिशुपालवध, नैषधीय, मेघदूत का अच्छा अभ्यास किया था और नैषधीय की समस्या-पूर्ति पर 'शान्तिनाथचरित्र', शिशुपालवध की समस्यापूर्ति पर 'देवानन्दमहाकाव्य', 'किरातसमस्यापूर्ति' तथा 'मेघदूतसमस्यालेख' रूपी ५ समस्यापूर्ति काव्य तथा सप्तसंधानमहाकाव्य, दिग्विजयमहाकाव्य, लघु त्रि० श० पु० च०, भविष्यदत्तकथा, पश्चाख्यान, विजयदेवमाहात्म्यविवरण, युक्तिप्रबोधनाटक ( न्यायग्रंथ), धर्ममंजूषा, चन्द्रप्रभा (हेमकौमुदी), हैमशब्दचन्द्रिका, हैमशब्दप्रक्रिया, वर्षप्रबोध ( ज्योतिष ग्रन्थ ), रमलशास्त्र, हस्तसंजीवन, उदयदीपिका, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002099
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 6
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchandra Chaudhary
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1998
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Literature, Kavya, & Story
File Size11 MB
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