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________________ पौराणिक महाकाव्य ४ पर्व में श्रेयांसनाथ से लेकर धर्मनाथ तक पाँच तीर्थकर, पाँच बासुदेव, पाँच प्रतिवासुदेव और पाँच बलदेव तथा. दो चक्रवर्ती-मघवा और सनत्कुमार इस प्रकार सब मिला कर २२ महापुरुषों का चरित । __ ५ पर्व में शान्तिनाथ का चरित । ये एक ही भव में तीर्थकर और चक्रवर्ती दोनों थे। उनके दो चरित गिनती में आये । ६ पर्व में कुन्थुनाथ से मुनिसुव्रत तक चार तीर्थकर, चार चक्रवर्ती, दो वासुदेव, दो बलदेव तथा दो प्रतिवासुदेव-इन १४ महापुरुषों का चरित । उनमें भी कुन्थुनाथ और अरनाथ उसी भव में चक्रवर्ती हुए थे। उनकी दो चक्रवर्तियों के रूप में भी गिनती की जाती है। ७ पर्व में नेमिनाथ, १०३-११वें चक्रवर्ती हरिषेण और जय तथा आठवें बलदेव, वासुदेव और प्रतिवासुदेव-राम, लक्ष्मण तथा रावण-के चरित मिलाकर ६ महापुरुषों के चरित । इस पर्व का अधिक भाग रामचन्द्र आदि के चरित का वर्णन करता है । इसे जैन रामायण अथवा पद्मचरित भी कहते हैं । ८ पर्व में नेमिनाथ तीर्थकर तथा नवम वासुदेव, बलदेव और प्रतिवासुदेवकृष्ण, बलभद्र और जरासंध को मिलाकर ४ महापुरुषों के चरित । पाण्डव-कौरव भी नेमिनाथ के समकालीन थे। उनके चरित भी इस पर्व में आ गये हैं। इस पर्व की कथावस्तु जैन हरिवंशपुराण के रूप में भी कही जाती है। दिग० आचार्य जिनसेन का संस्कृत में रचा हरिवंशपुराण खूब प्रख्यात है। इसके उपरांत कवियों में स्वयंभू, धवल आदि ने मी अपनी कुशल लेखनी इस विषय पर चलाई है। ९ पर्व में पार्श्वनाथ तीर्थकर और ब्रह्मदत्त नामक बारहवें चक्रवर्ती के चरित । १० पर्व में भग० महावीर का जीवनचरित है। अन्य पर्वो की अपेक्षा यह पर्व बहुत बड़ा है । सम्पूर्ण पर्व में कुल १३ सर्ग हैं और ग्रन्थकार की प्रशस्ति है । इस पर्व में श्रेणिक, कोणिक, सुलसा, अभयकुमार, चेटकराज, हल्लविहल्ल, मेघकुमार, नन्दिषेण, चेलना, दुर्गन्धा, आर्द्रकुमार, ऋषभदत्त, देवनन्दा, जमालि, शतानीक, चण्डप्रद्योत, मृगावती, यासासासा, आनन्द आदि दश श्रावक, गोशालक, हालीक, प्रसन्नचन्द्र, दर्दुराङ्कदेव, गौतमस्वामी, पुण्डरीक-कंडरीक, अंबड, दशार्णभद्र, धन्ना-शालिभद्र, रौहिणेय, उदयन शतानीक-पुत्र, अन्तिम राजर्षि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002099
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 6
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchandra Chaudhary
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1998
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Literature, Kavya, & Story
File Size11 MB
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