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________________ ६० जैन साहित्य का बृहद् इतिहास आदिपुराण की उत्थानिका में जिनसेन ने अपने पूर्ववर्ती मुप्रसिद्ध कवियों और विद्वानों का, उनके वैशिष्टय के साथ, स्मरण किया है-१. सिद्धसेन, २. समन्तभद्र ३. श्रीदत्त, ४. प्रभाचन्द्र, ५. शिवकोटि. ६. जटाचार्य, ७. काणभिक्षु, ८. देव (देवनन्दि ), ९. भट्टाकलंक, १०. श्रीपाल, ११. पात्रकेसरी, १२. वादिसिंह, १३. वीरसेन, १४. जयसेन, १५. कविपरमेश्वर । इस ग्रन्थ से इसके रचनाकाल का पता नहीं चलता फिर भी अन्य प्रमाणों से ज्ञात होता है कि ये हरिवंशपुराणकार द्वितीय जिनसेन के ग्रन्थकर्तृत्वकाल (शक सं० ७०५ सन् ७८३) में जीवित थे। उनकी ख्याति पाश्र्वाभ्युदय रचयिता' के रूप में फैली थी । जिनसेन ने अपने गुरु वीरसेन की अधूरी कृति जयधवला को शक सं० ७५९ (सन् ८३७ ) में समाप्त किया था। उसके बाद वृद्धावस्था काल में ही आदिपुराण की रचना प्रारंभ की थी जिसे समाप्त करने के पूर्व ही वे दिवंगत हो गये थे। स्व० पं० नाथूराम प्रेमी ने अनुमान किया है कि उनका जीवन ८० वर्ष के लगभग रहा होगा और वे श० सं० ६८५ (सन् ७६३) में जन्मे होंगे। जिनसेन द्वितीय के काल (शक सं० ७०५) में वे २०-२५ वर्ष के लगभग रहे हों, जयधवला की समाप्ति काल में ७४ वर्ष और प्रस्तुत पुराण के लगभग १० हजार श्लोकों की रचना के समय ८० या उससे कुछ अधिक रहे होंगे। इनकी उपर्युक्त तीन रचनाओं के अतिरिक्त और कोई कृति नहीं मिलती। उत्तरपुराण-यह पुराण महापुराण का पूरक भाग है। इसमें अजितनाथ से लेकर २३ तीर्थकरों, सगर से लेकर ११ चक्रवर्तियों, ९ बलदेवों, ९ नारायणों और ९ प्रतिनारायणों तथा उनके काल में होनेवाले जीवन्धर आदि विशिष्ट पुरुषों के कथानक दिये गये हैं। अवान्तर कथानकों में कई तो बड़े रोचक ढंग से लिखे गये हैं जो पश्चाद्वर्ती अनेकों काव्यों के उपादान बने हैं। इसमें आठवे, सोलहवें, बाईसवे, तेईसवें और चौबीसवें तीर्थंकरों को छोड़कर अन्य तीर्थकरों के चरित्र अत्यन्त संक्षेप में दिये गये, परन्तु वर्णन शैली का मधुरता से वे भी रोचक १. हरिवंशपुराण, १. ४०. २. जैन साहित्य और इतिहास, पृ. १४१. ३. स्याद्वाद ग्रन्थमाला, इन्दौर, सं. १९७३-७५ हि.अ.स.; भारतीय ज्ञानपीठ काशी, १९५४. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002099
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 6
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchandra Chaudhary
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1998
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Literature, Kavya, & Story
File Size11 MB
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