SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 68
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ . पौराणिक महाकाव्य ५५ हरिवंशपुराण और पाण्डवपुराण-विषयक' अन्य रचनाएँ-१. पाण्डवचरित्र (लघुपाण्डवचरित्र)-अज्ञात । २. पाण्डवपुराण-कवि रामचन्द्र (सं० १५६० के पूर्व)। ३. हरिवंशपुराण-धर्मकीर्ति भट्टारक ( सं० १६७१)। श्रुतकीर्ति । जयसागर। जयानन्द । ७. , मंगरस । तिरसठ शलाका महापुरुष-विषयक पौराणिक महाकाव्य : महापुराण : आदिपुराण-महापुराण२ जिनसेन और गुणभद्र की उस विशाल रचना का नाम है जो ७६ पर्यों में विभक्त है । ४७ पर्व तक की रचना का नाम आदिपुराण है और उसके बाद ४८-७६ तक का उत्तरपुराण । इस बृहत्काय ग्रन्थ का अनुष्टुभ छन्दों में परिमाण १९२०७ श्लोक हैं। उनमें से आदिपुराण में ११४२९ श्लोक हैं और उत्तरपुराण में ७७७८ । जिनसेन ने ६३ शलाका पुरुषों के चरितों को बृहत्प्रमाण में लिखने की प्रतिज्ञा की थी पर अत्यन्त वृद्ध होने के कारण वे केवल आदि पुराण के बयालीस पर्व और तेतालीसवें पर्व के तीन पद्य अर्थात् १०३८० श्लोक प्रमाण रचकर स्वर्गवासी हो गये। इसके बाद उनके सुयोग्य शिष्य ने शेष कृति को अपेक्षाकृत संक्षेप रूप में पूर्ण किया । आदिपुराण में प्रथम तीर्थंकर ऋषभ के दश पूर्वभवों और वर्तमान भव का तथा भरत चक्रवर्ती के चरित्र का विस्तारपूर्वक वर्णन किया गया है। प्रथम दो पर्व तो प्रस्तावना रूप हैं, तीसरे में काल और भोगभूमियों और पाँच से लेकर एकादश पर्व तक ऋषभदेव के दश पूर्वभवों का विस्तृत वर्णन है । बारह से पन्द्रह तक ४ पर्यों में ऋषभदेव के गर्भ, जन्म, बाल्यावस्था, यौवन तथा विवाह का वर्णन है। सोलहवें में भरतादि सन्तानोत्पत्ति, प्रजा के लिए असि, १. जि०र० को०, पृ०२४२-२४३, ४६०. २. स्याद्वाद ग्रन्थमाला, इन्दौर, वि० सं० १९७३-७५, हिन्दी अनुवाद सहित । भारतीय ज्ञानपीठ, काशी, भाग १-३, १९५१-५४. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002099
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 6
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchandra Chaudhary
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1998
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Literature, Kavya, & Story
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy