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________________ ५२ जैन साहित्य का बृहद् इतिहास सुकुमालचरित्र, ११. सुदर्शनचरित्र, १२. सद्भाषितावली, १३. पार्श्वनाथपुराण, १४. सिद्धान्तसारदीपक, १५. व्रतकथाकोष, १६. पुराणसारसंग्रह, १७. कर्मविपाक, १८. तत्त्वार्थसारदीपक, १९. परमात्मराजस्तोत्र, २०. आगमसार, २१. सारचतुर्विशतिका, २२. पंचपरमेष्ठीपूजा, २३. अष्टाह्निकापूजा, २४. सोलहकारणपूजा, २५. जम्बूस्वामिचरित्र, २६. श्रीपालचरित्र, २७. द्वादशानुप्रेक्षा, २८. गणधरवलयपूजा। इनका स्वर्गवास गुजरात के महसाना नामक स्थान में सं० १४९९ में हुआ था जहाँ उनकी समाधि-निषद्या अब तक विद्यमान बताई जाती है। उक्त पुराण के द्वितीयांश के रचयिता ब्रह्म जिनदास हैं जो भट्टारक सकलकीर्ति के शिष्य एवं लघुभ्राता थे। इनका संस्कृत और राजस्थानी पर समान अधिकार था पर राजस्थानी से विशेष अनुराग था। इनकी संस्कृत में रचना अंगुलियों पर गिनने लायक हैं जब कि राजस्थानी में ५० से भी अधिक हैं। ब्रह्म जिनदासकी निश्चित जन्मतिथि के सम्बन्ध में इनकी रचनाओं के आधार पर कोई जानकारी नहीं मिलती। ये कब तक गृहस्थ रहे और कब से साधु जीवन विताया, इस विषय की भी सूचना नहीं मिलती। इनकी माता का नाम शोभा एवं पिता का नाम कर्णसिंह था। ये पाटण के रहने वाले हूंबढ़ जाति के श्रावक थे। इनका जन्म भट्टारक सकलकीर्ति के बाद है क्योंकि वे इनके अग्रज थे। ब्रह्म जिनदास ने अपनी केवल दो रचनाओं में संवत् दिया है, शेष में नहीं। तदनुसार रामराज्यरास में वि० सं १५०८ तथा हरिवंशपुराण में वि० सं० १५२० दिया गया है। संभवतः हरिवंशपुराण इनकी अन्तिम कृति थी। संस्कृत में अन्य रचनायें हैं---जम्बूस्वामिचरित्र, रामचरित्र ( पद्मपुराण ) तथा पुष्पांजलिव्रतकथा और ८ के लगभग पूजा-विषयक लघु रचनाएँ हैं। पाण्डवपुराण-इस पौराणिक काव्य' में पाण्डवों की रोचक कथा का वर्णन किया गया है। इसमें २५ पर्व हैं। इसकी श्लोक-सं० ६००० है । इस पुराण की रचना में ग्रन्थकर्ता ने जिनसेन के हरिवंशपुराण आदि व उत्तरपुराण तथा श्वेता० रचना देवप्रभसूरि रचित पाण्डवचरित्र का पर्याप्त उपयोग किया है। ग्रन्थ के अन्तरंग परीक्षण से यह बात स्पष्ट होती है। फिर भी इस पुराण की कथा में अन्य जैन पुराणकारों की रचनाओं से भेद है । यह ग्रन्थ जैन महाभारत १. जीवराज जैन ग्रन्थमाला, सं० ३, सोलापुर, १९५४. २. वही, प्रस्तावना, पृष्ठ 1-४०. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002099
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 6
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchandra Chaudhary
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1998
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Literature, Kavya, & Story
File Size11 MB
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