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________________ ५९१ ललित वाङ्मय इस नाटक के हम्मीर और नयचन्द्रसूरिरचित पश्चात्कालीन हम्मीरमहाकाव्य के हम्मीर में भ्रान्ति न होना चाहिए क्योंकि वह महाकाव्य मेवाड़ के चौहान राजा हम्मीर के इतिहास से सम्बंधित है और इस नाटक से २०० वर्ष बाद की कृति है । इस नाटक में ५ अंक हैं । इसका अभिनय वस्तुपाल के पुत्र जयन्तसिंह के अनुरोध पर खम्भात में भीमेश्वर के यात्रोत्सव' में हुआ था । इस नाटक का घटनास्थल खम्भात के आस-पास का है । तुरुष्क हम्मीर तथा यादवनृप सिंहण और लाट-देश के कुछ सरदार खम्भात पर आक्रमण करना चाहते हैं । वीरधवल का मंत्री वस्तुपाल मारवाड़ के राजा, सुराष्ट्र के सरदार तथा महीतर और लाट के कुछ सरदारों के साथ सामना करता है । चरों द्वारा शत्रुदल में फूट डाली जाती है । युद्धस्थल का वर्णन रंगमंच पर दूतों के संवाद द्वारा प्रस्तुत किया जाता है । दूतप्रयोग द्वारा स्थानीय शत्रुओं को मिलाकर वस्तुपाल दूतों द्वारा ही तुरुष्क सेना में हंगामा, भगदड़ मचवाता है । अन्त में अपनी रणनीति के कारण वह शत्रु को भगा देता है । नृप वीरधवल को इससे इसलिए निराशा होती है कि वह अपने शत्रुओं को कैद न कर सका पर वह अपने मंत्री की रणनीति का उल्लंघन करने में लाचार था । नाटक के अन्त में मिलच्छ्रीकार को बाध्य होकर वीरधवल से संधि करते हुए दिखाया गया है । इसमें दिये हुए पात्रों के नाम तत्कालीन इतिहास से पहचाने गये हैं 1 यह नाटक उत्तरमध्ययुगीन संस्कृत रचना होने से अत्यन्त अलंकार बहुल है और कृत्रिम शैली में लिखा गया है। फिर भी संवाद जोरदार हैं, कविताएं मनोहारिणी एवं उपमाओं से भरी हैं । वस्तुपाल, तेजपाल और वीरधवल का चरित्र चित्रण बहुत अच्छा किया गया है तथा वह जीवन्त है। पांचवें अङ्क में वीरधवल के नरविमान में चढ़कर अनेक स्थानों को द्वारा कवि ने काल्पनिक युग में विचरण करने का नाटक में केवल एक स्त्रीपात्र है और वह है रानी देखते हुए लौटने के वर्णन प्रयास किया है । समस्त जयतलदेवी ( वीरधवल की १. 'श्री भीमेश्वरस्य यात्रायां श्रीमता जयन्तसिंहेन समादिष्टोऽस्मि कमपि प्रबंधमभिनेतु आदि । पृ० १. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002099
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 6
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchandra Chaudhary
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1998
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Literature, Kavya, & Story
File Size11 MB
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