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पौराणिक महाकाव्य
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रामकथा से सम्बद्ध अन्य रचनाएँ ( संस्कृत ) - १. सीता चरित्र - इस
काव्य में ४ सर्ग हैं, जिनमें क्रमशः ९५, ९९, १५३, और २०९ पद्य हैं । यह अप्रकाशित है । इसकी हस्तलिखित प्रति में सं० १३३९ दिया गया है ।
२. सीता चरित्र - शान्तिसूरि
३.
ब्रह्म नेमिदत्त
४.
अमरदास
13
:3
महाभारत-विषयक पौराणिक महाकाव्य ( संस्कृत ) :
हरिवंशपुराण - एक महाकाव्य की शैली पर रचा गया यह ब्राह्मण पुराणों के अनुकरण का एक पुराण है । इस ग्रन्थ का मुख्य विषय हरिवंश में उत्पन्न हुए २२वें तीर्थंकर नेमिनाथ का चरित्र वर्णन करना है।' इसका दूसरा नाम अरिष्टनेमिपुराणसंग्रह भी है जिसका प्रत्येक सर्ग के पुष्पिका वाक्य में उल्लेख किया गया है । इसके विषय का ग्रन्थकार ने लोक के आकार का वर्णन, राजवंशों की उत्पत्ति, हरिवंश का अवतार, वसुदेव की चेष्टाएँ, नेमिनाथ का चरित, द्वारिका निर्माण, युद्ध वर्णन और निर्वाण इन आठ अधिकारों में प्रतिपादन किया है । इस ग्रन्थ में ६६ सर्ग हैं, जिनका कुल मिलाकर १२ हजार श्लोकप्रमाण आकार है ।
यह ग्रन्थ नेमिनाथपुराण ही नहीं है बल्कि उसे मध्यबिन्दु बनाकर इसमें इतिहास, भूगोल, राजनीति, धर्मनीति आदि अनेक विषयों तथा अनेक उपाख्यानों का वर्णन हुआ है। लोक-संस्थान के रूप में सृष्टि वर्णन ४ सर्गों में दिया गया है । राज्यवंशोत्पत्ति और हरिवंशावतार नामक अधिकारों के उपलक्षण में चौबीस तीर्थकर, बारह चक्रवर्ती, नव नारायण आदि तिरसठ शलाका पुरुषों का और सैकड़ों अवान्तर राजाओं और विद्याधरों के चरितों का वर्णन किया गया है । इस तरह यह अपने में एक महापुराण को भी अन्तर्गर्भित किये हुए है । हरिवंश के प्रसंग में ऐल और यदुवंशों का भी वर्णन दिया गया है ।
१. वही, पृ० ४४२.
२. मा० दि० जै० प्र० बम्बई, २ भाग, सन् १९३० - ३१; भारतीय ज्ञानपीठ वाराणसी, १९६२.
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