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________________ ललित वाङ्मय मुनिसुव्रतकाव्य : __ इस काव्य' में बीसवें तीर्थकर मुनिसुव्रत स्वामी का जीवनवृत्त लिखा गया है। इसके कथानक का आधार गुणभद्रकृत 'उत्तरपुराण' है। इस काव्य का दूसरा नाम काव्यरत्न है। यह १० सर्गों में विभक्त है जिनमें कुल मिलाकर ४०८ पद्य हैं। इस प्रकार इस छोटे काव्य में मुनिसुव्रत स्वामी का गर्भ-जन्म से लेकर मोक्ष तक का जीवनचरित्र बड़े रोचक ढंग से वर्णित है। सर्गों का नाम वर्णित घटना के अनुसार दिया गया है। पहले भगवत्अभिजन-वर्णन में मगध देश और राजगृह नगर का वर्णन है। द्वितीय में मातापिता, तृतीय में गर्भावतरण, चतुर्थ में जन्मोत्सव, पंचम में मन्दराचल पर शिशु को लाने का तथा छठे में जन्माभिषेक एवं नामकरण का वर्णन है। सातवें में कुमारावस्था, यौवन, विवाह एवं साम्राज्यपद पाने का वर्णन है। आठवें में परिनिष्क्रमण, नवे में तप का और दसवें में उपदेश तथा मुक्तिपद पाने का वर्णन है। इस तरह कथानक में सुनियोजित विकासक्रम दिखाई पड़ता है। कवि ने अन्य काव्यों की भांति पूर्वजन्मों के वर्णन से काव्य को बोझिल नहीं किया है। इसलिए इसमें धारावाहिकता और गतिशीलता अविच्छिन्न है। इस काव्य में सुमित्र (भग० के पिता), पद्मावती (माता) और मुनिसुव्रत ये ही तीन पात्र हैं। इन्हीं के चरित्र का इसमें विकास किया गया है। इस लघुकाय काव्य में विविध प्राकृतिक दृश्यों को स्थान देकर उसे मनोहर बनाने की चेष्टा की गई है।' इसी तरह मानवसौन्दर्य का भी चित्रण इस काव्य में किया गया है, माता पद्मावती के वर्णन में इसे भलीभांति देखा जा सकता है। वैसे यह शास्त्रीय शैली का काव्य है। इसमें उक्त शैली के महाकाव्यों की तरह विस्तृत वस्तुवर्णन तथा काव्यात्मकता अधिक है और कवि का अलंकारों की ओर विशेष झुकाव है फिर भी इसमें पौराणिक रूप की रक्षा हुई है और उस ओर भी झुकाव है इसलिए इसमें दोनों शैलियों का मिश्रण देख सकते है । १. देवकुमार ग्रन्थमाला, प्रथम पुष्प, जैन सिद्धान्त भवन, भारा, १९२९; जिनरत्नकोश, पृ० ३१२. २. सर्ग १. २०. ३. सर्ग १. २४, ३०, ३६, ४०, ३. १९, ९.३, ९, १०, १३, २२, २७, २८ १०. १७. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002099
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 6
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchandra Chaudhary
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1998
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Literature, Kavya, & Story
File Size11 MB
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