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________________ जैन साहित्य का बृहद् इतिहास । अभयनन्दि के शिष्य होने के नाते वीरनन्दि और गोम्मटसार के कर्ता नेमिचन्द्र सिद्धान्तचक्रवर्ती दोनों सतीर्थ्य थे । नेमिचन्द्र सि० च० उनसे बड़े प्रभावित थे। उन्होंने कर्मकाण्ड में इनका तीन बार ससम्मान उल्लेख किया है ।' अपने सहाध्यायी द्वारा मंगलाचरण प्रसङ्गों में इस प्रकार का स्मरण वीरनन्दि की प्रतिष्ठा का द्योतक है । इसके अतिरिक्त प्रसिद्ध दार्शनिक और विशिष्ट कवि वादिराजसूरि ने अपने काव्य पार्श्वनाथचरित' में इनके नाम और कृति की प्रशंसा की है । कवि दामोदर ने अपनी कृति चन्द्रप्रभचरित' में इन्हें वन्दन करते हुए कवीश कहा तथा पण्डित गोविन्द ने इनका उल्लेख अपनी रचना के प्रारम्भ में धनञ्जय, असग और हरिचन्द्र से पहले किया है । कवि आशावर ने अपनी कृति सागारधर्मामृत' में चन्द्रप्रभचरित का एक पद्य उद्धृत किया है । महाकवि हरिचन्द्र ने धर्मशर्माभ्युदय की रूपरेखा प्रायः चन्द्रप्रभचरित को सामने रखकर बनाई थी । वीरनन्दि ने अपने ग्रन्थ में अपने पूर्ववर्ती किन्हीं कवियों और कृतियों का उल्लेख नहीं किया। इससे ज्ञात होता है कि इनका समकालीन और परवर्ती आचार्यों और कवियों पर बड़ा प्रभाव था । फिर भी नेमिनिर्वाण का उन पर कुछ प्रभाव अवश्य था । ४८४ चूँकि वीरनन्दि नेमिचन्द्र सि० च० के सतीर्थ्य थे इसलिए उनका समय वही होना चाहिये जो उनके सहाध्यायी का था । नेमिचन्द्र ने कर्मकाण्ड की रचना अभवद भयनन्दी जैनधर्माभिनन्दी स्वमहिमजितसिन्धुर्भव्यलोकैकबन्धुः ॥ ३ ॥ भव्याम्भोजविबोधनोद्यतमतेर्भास्वत्समा नत्विषः शिष्यस्तस्य गुणाकरस्य सुधियः श्रीवीरनन्दीत्यभूत् । स्वाधीनाखिलवाङ्मयस्य भुवनप्रख्यातकीर्ते: सताम् संसत्सु व्यजयन्त यस्य जयिनो वाचः कुतर्काङ्कुशाः ॥ ४ ॥ शब्दार्थसुन्दरं तेन रचितं चारुचेतसा । श्री जिनेन्दुप्रभस्येदं चरितं रचनोज्ज्वलम् ।। ५ । १. कर्मकाण्ड, गाथा ४३६, ७८५, ८९६. २. पार्श्वनाथचरित, १.३०. ३. चन्द्रप्रभचरित, १. १९. 9. पुरुषार्थानुशासन, २२. १. ११ की व्याख्या में चन्द्रप्रभचरित का ४.३८. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002099
Book TitleJain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 6
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchandra Chaudhary
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1998
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Literature, Kavya, & Story
File Size11 MB
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