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जैन साहित्य का बृहद् इतिहास जैसलमेर प्रदेशों के ३००० प्रतिमालेख संगृहीत हैं। इनमें अनेक श्मशान एवं सतीलेख भी आ गये हैं। इसकी भूमिका, प्राक्कथन एवं परिशिष्ट आदि बड़े महत्त्व के हैं। नाहटाजी ने अपने 'वक्तव्य' शीर्षक लेख में अब तक संकलन किये हुए पर अप्रकाशित अनेकों प्रतिमालेखों की सूचना दी है जिससे इसकी विशालता ज्ञात होती है।
दिगम्बर जैन प्रतिमालेखों के भी कुछ संग्रह उल्लेखनीय हैं, यथा श्री छोटेलाल जैन ने सं० १९७९ में जैन प्रतिमा यंत्रसंग्रह प्रकाशित किया। सं० १९९४ में कामताप्रसाद जैन ने प्रतिमा लेखसंग्रह में मैनपुरी की प्रतिमाओं के लेख प्रकाशित किये हैं। इसी तरह शान्तिकुमार ठवलो ने नागपुर प्रतिमा लेखसंग्रह में ४९७ प्रतिमाओं का लेखसंग्रह जैन शिलालेख संग्रह, चतुर्थ भाग के परिशिष्ट ३ में प्रकाशित किया है। डा० विद्याधर जोहरापुरकर के भट्टारक सम्प्रदाय में भी अनेक प्रतिमालेखों का संग्रह आ गया है ।
१. जैन सिद्धान्त भवन, मारा.
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